भारतीय मूल की 15 वर्षीय अमेरिकी नागरिक गीतांजलि राव ने कुछ ऐसा कमाल किया है कि दुनियाभर में उनकी ही चर्चा हो रही है. दुनिया की मशहूर ‘टाइम मैगज़ीन’ ने गीतांजलि को अपने कवर पेज पर जगह दी है. ऐसा पहली बार हुआ है जब ‘टाइम मैगज़ीन’ ने किसी बच्चे को अपने कवर पेज पर जगह दी है.
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दरअसल, टाइम मैगज़ीन ने गीतांजलि को उनके नए इनोवेशन के चलते अपने कवर पेज पर जगह दी है. इस दौरान टाइम मैगज़ीन ने गीतांजलि को अपने कवर पेज पर ‘किड ऑफ़ द ईयर’ के रूप में जगह दी है. गीतांजलि राव को 14 दिसंबर की टाइम मैगज़ीन के कवर पर जगह दी थी इस दौरान गीतांजलि सफ़ेद लैब कोट पहने हाथ में मेडल पकड़े हुए दिख रही हैं.
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5000 बच्चों में से चुनी गईं गीतांजलि
टाइम मैगज़ीन ने पहली बार ‘किड ऑफ़ द ईयर’ के लिए नॉमिनेशन मंगाए थे. इस दौरान क़रीब 5000 बच्चों को चुना गया, जिनमें से गीतांजलि ने पहला स्थान हासिल किया है. गीतांजलि ने हाल ही में अमेरिका का ‘टॉप यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड’ भी अपने नाम किया है.
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किस वजह से मशहूर हो रही हैं गीतांजलि?
15 वर्षीय गीताजंलि राव साइंटिस्ट और इनोवेटर हैं. उन्होंने टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर ‘ओपियम की लत’ और ‘साइबरबुलिंग’ से लोगों को छुटकारा दिलाने में सफ़लता हासिल की है. दरअसल, गीतांजलि का ये नया इनोवेशन एक ऐप किंडली और क्रोम एक्सटेंशन है, जो साइबरबुलिंग का पता लगाने के लिए मशीन लर्निंग तकनीक का इस्तेमाल करता है.
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पानी में लेड की मात्रा वाला डिवाइस भी बनाया
इसके अलावा गीतांजलि ने एक ऐसा सेंसर भी बनाया है, जिससे पानी में लेड यानि सीसे की मात्रा का आसानी से पता लगाया जा सकता है. ख़ास बात ये है कि गीतांजलि ने अपने इनोवेशन के लिए ज़्यादा महंगे डिवाइस भी इस्तेमाल नहीं किए. गीतांजलि ने मोबाइल की तरह दिखने वाले डिवाइस का नाम ‘टेथिस’ रखा है. इस डिवाइस को पानी में कुछ सेकेंड तक रखने के बाद पता चल जाता है कि पानी में लेड की मात्रा कितनी है.
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दरअसल, अमेरिका में कई जगहों पर पानी में लेड की मात्रा काफ़ी अधिक पाई जाती है. इसे मापने के लिए अब तक काफ़ी मश्किल तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन अब गीतांजलि राव के इस इनोवेशन पर अमेरिकी वैज्ञानिक भी काम कर रहे हैं. गीतांजलि के इनोवेशन से वैज्ञानिकों को काफ़ी फ़ायदा हो सकता है.
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टाइम मैगज़ीन की तरफ़ से हॉलीवुड सुपरस्टार एंजलीना जोली ने गीतांजलि राव का इंटरव्यू लिया है.