क़रीब 3 महीने पहले इसरो द्वारा भेजे गया ‘चंद्रयान-2’ का लैंडर विक्रम दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. इस दौरान वैज्ञानिकों का विक्रम से संपर्क टूट गया था. अब अमेरिकन स्पेस एजेंसी ‘नासा’ ने उसके टुकड़ों को तलाश लिया है. नासा ने ख़ुद इसकी तस्वीरें ट्विटर पर शेयर की हैं. 

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7 सितंबर को लैंडर विक्रम से संपर्क टूट गया था. इस दौरान विक्रम से संपर्क करने की कई कोशिशें की गयी, लेकिन कामयाबी नहीं मिल पाई. इसके बाद अमेरिकन स्पेस एजेंसी ‘नासा’ ने लैंडर विक्रम दुर्घटनाग्रस्त होने की जानकारी दी. ‘नासा’ ने लूनर रेकॉन्सेन्स ऑर्बिटर द्वारा खींची गई तस्वीरों के ज़रिए पता लगाया था कि लैंडर विक्रम के अवशेष साइट से लगभग 750 मीटर की दूरी पर मिले हैं. 

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अब ‘नासा’ ने चांद की सतह पर पड़े विक्रम के टुकड़ों को हाइलाइट कर इसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की हैं. इस दौरान नासा ने लैंडर विक्रम के मलबे को खोज निकालने का क्रेडिट चेन्नई के एक 33 वर्षीय मैकेनिकल इंजीनियर को दिया है. 

जी हां, नासा की इस बड़ी उपलब्धि के पीछे चेन्नई के मैकेनिकल इंजीनियर शानमुगा सुब्रमण्य का हाथ बताया रहा है. सुब्रमण्य ने ही नासा के लूनर रेकॉन्सेन्स ऑर्बिटर द्वारा ली गई तस्वीरों का इस्तेमाल करके लैंडर विक्रम के मलबे का पता लगाया है. 

जानें कौन है शानमुगा सुब्रमण्यन? 

33 वर्षीय चेन्नई के रहने वाले शनमुगा सुब्रमण्यन एक मकैनिकल इंजिनियर और कंप्यूटर प्रोग्रामर हैं. वो फ़िलहाल ‘लेनॉक्स इंडिया टेक्नॉलजी सेंटर’ में टेक्निकल आर्किटेक्ट के तौर पर काम कर रहे हैं. मदुरै के रहने वाले शानमुगा सुब्रमण्यन इससे पहले कॉन्निजेंट कंपनी में भी काम कर चुके हैं. 

दरअसल, शानमुगा सुब्रमण्यन ने लैंडर विक्रम की क्रैश लैंडिंग के बाद नासा के लूनर रेकॉन्सेन्स ऑर्बिटर द्वारा ली गई तस्वीरों पर अकेले ही पर काम करना शुरू किया. नौकरी के साथ-साथ सुब्रमण्यन हर दिन इस कार्य में भी जुटे रहे. आख़िरकार उन्होंने लैंडर विक्रम के मलबे को खोज ही निकाला. 

ANI से बातचीत में शानमुगा सुब्रमण्यन ने बताया- 

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17 सितम्बर को नासा ने अपने ब्लॉग पर विक्रम की क्रैश लैंडिंग की तस्वीरें शेयर की थीं. उनका ब्लॉग पढ़ने पर पता चला कि किन्हीं कारणों के चलते वो इसे खोज निकालने में असमर्थ हैं. इसके बाद मैंने नासा के लूनर द्वारा ली गयी सभी तस्वीरों का गहन अध्ययन किया. इस दौरान मैं हर दिन 7 से 8 घंटे इसी काम में लगा रहता था. इस दौरान मैंने पाया कि कुछ तस्वीरें पहले से कुछ अलग दिख रही हैं. 

नासा को दी जानकारी 

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3 अक्टूबर को मुझे अहसास हुआ कि ये लैंडर विक्रम के ही अवशेष हैं. इसके बाद मैंने 18 अक्टूबर को एक मेल के ज़रिये नासा को इससे अवगत कराया. इसके बाद 3 दिसंबर की सुबह मुझे नासा के डिप्टी प्रॉजेक्ट साइंटिस्ट, जॉन केलर से एक कन्फ़र्मेशन मेल मिली. नासा से इस तरह का सम्मान पाने के बाद मुझे लग रहा है मैंने जो मेहनत की थी उसका फ़ल मुझे मिल गया है.

इस दौरान नासा के डिप्टी प्रॉजेक्ट साइंटिस्ट, जॉन केलर ने शानमुगा सुब्रमण्यन को उसकी मेहनत के लिए बधाई दी और कहा कि आपने इतनी मेहनत की और अपना बहुमूल्य समय निकालकर जो काम किया, उसके लिए आपको बधाई. हमने इसका एलान करने के लिए काफ़ी समय लगा दिया इसके लिए हम आपसे माफ़ी चाहते हैं क्योंकि हमें पहले पूरी तरह से संतुष्ट होना था.