बीते बुधवार को लंबे इंतज़ार के बाद फ़्रांस से ख़रीदे गए ‘5 राफ़ेल विमान’ क़रीब 7300 किलोमीटर का सफ़र तय करके ‘अंबाला एयरफ़ोर्स स्टेशन’ पहुंचे थे. इस दौरान देश की जनता ने इनका ज़बरदस्त स्वागत किया.
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देश में जिस वक़्त राफ़ेल की आवाज़ गूंज रही थी, उस समय असम के एक छोटे से क़स्बे का लड़का अपना सपना जी रहा था. हम बात कर रहे हैं 22 साल के 3डी ग्राफ़िक डिज़ाइनर सौरव चोर्डिया की. सौरव वही शख़्स हैं जिन्होंने स्कॉड्रन 17 यानि कि ‘गोल्डन एरो’ (Golden Arrow) के पायलटों के सीने पर लगने वाले पैच डिज़ाइन किए हैं.
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सौरव बचपन से ही पायलट बनना चाहते थे, लेकिन आंखों की रोशनी कमज़ोर की वजह से उनका ये ख़्वाब अधूरा ही रह गया. लेकिन सौरव ने जल्द ही फ़ाइटर जेट ‘राफ़ेल’ की उड़ान भरने वाले पायलटों के सीने पर लगने वाले पैच बनाकर अपना सपना जी लिया है. सौरव इन पायलट्स की यूनिफ़ॉर्म पर ख़ुद के डिज़ाइन किए पैच देखकर गर्व महसूस कर रहे हैं.
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सौरव ने राफ़ेल के पायलटों के लिए तैयार किए हैं दो पैच
सौरव ने राफ़ेल के पायलटों के लिए दो पैच तैयार किए हैं. एक पैच गोलाकार है तो दूसरा एयरक्राफ़्ट की तरह दिखने वाला है. गोलाकार पैच पर ‘उदयाम अजस्त्रम्’ लिखा है. ये पैच ‘मेक इन इंडिया’ मोमेंट के तहत देश में ही तैयार किए गए हैं. सौरव ने इन्हें बनाने के लिए कोई पैसे नहीं लिया है.
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मीडिया से बातचीत में सौरव ने कहा, ‘स्कॉड्रन 17’ का अपना गौरवमय इतिहास रहा है. इसलिए मैंने पैच के डिज़ाइन करते वक़्त इस बात को ध्यान में रखते हुए इसमें राफ़ेल के आधुनिकीकरण को भी दिखाना था. जब मैं सिर्फ़ 18 साल का था तभी से मैंने आर्म पैच बनाने शुरू कर दिए थे. मैं अब तक भारतीय सेना के लिए दर्जनों डिज़ाइन तैयार कर चुका हूं.
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‘जब मैं छोटा था तो मैंने ‘Top Gun’ फ़िल्म में टॉम क्रूज को पायलट की यूनिफ़ॉर्म पर पैच पहने और प्लेन उड़ाते हुए देखा था. ये देखकर मैं एयरफ़ोर्स में जाने के लिए प्रेरित हो गया था, लेकिन मेरी आंखें कमज़ोर थीं, तो ऐसा हो न सका. इसके बाद मैंने एयरक्राफ़्ट मॉडल और पैच डिज़ाइन करने शुरू किए और जल्द ही मेरे काम को नोटिस किया जाने लगा. अधिकारियों ने मुझसे संपर्क किया फिर मैंने एयरफ़ोर्स के लिए पैच बनाने शुरू कर दिए’.
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बता दें कि सौरव द्वारा बनाए गए पैच ‘जी-सूट और स्क्वाड्रन 25’ के पायलटों की यूनिफॉर्म पर भी लग चुके हैं. ये उसी विंग के पायलट्स हैं जिन्होंने सबसे पहले तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ़्ट उड़ाए थे.
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सौरव के भाई का कहना है कि, हम इससे बेहद ख़ुश हैं कि इन पैच को असम के एक छोटे से शहर से आने वाले लड़के ने तैयार किये हैं. हमारे माता-पिता ने हमें बहुत सपोर्ट किया है. सौरव ने इन्हें बनाने के लिए कोई पैसे नहीं लिए हैं, लेकिन अब वायुसेना उन्हें स्टाइपेंड देने की तैयारी कर रही है ताकि वो ख़ुद को इस परिवार का हिस्सा मान सकें.