केंद्र सरकार ने 25 जनवरी को 2021 के लिए 7 हस्तियों को पद्म विभूषण, 10 को पद्म भूषण और 102 को पद्मश्री पुरस्कार देने की घोषणा की गई है. इनमें से पद्म भूषण और पद्मश्री पुरस्कार पाने वाली 29 महिलाएं हैं. इनमें कई ऐसे नाम हैं, जिनको आपने शायद ही कभी सुना हो. ये वो महिलाए हैं, जो गुमनाम रहकर भी समाज में बड़े-बड़े बदलावों की झंडाबरदारी करती हैं.
फिर चाहें डायन प्रथा के ख़िलाफ़ लड़ाई हो, अनाथ बच्चों को आश्रय देना हो या साहित्य और खेल में देश का नाम ऊंचा करना हो, ये महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी बड़ी भूमिका निभा रही हैं.
आइए जानते हैं इस साल पद्म पुरस्कारों से सम्मानित होने वाली महिलाओं और उनके काम के बारे में.
पद्म भूषण पुरस्कार
1. कृष्णन नायर शांताकुमारी चित्रा (कला)
केरला की केएस चित्रा ने तमिल, हिंदी, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़, बंगाली, तुलु में 25,000 से अधिक गाने गाए हैं. उन्होंने अब तक 6 राष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं जो भारत में किसी भी महिला गायक द्वारा सबसे अधिक संख्या है.
2. सुमित्रा महाजन (जनसेवा)
पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने 1989 से 2019 तक मध्य प्रदेश के इंदौर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया और सबसे लंबे समय तक संसद सदस्य रही हैं.
पद्म श्री पुरस्कार
3.पी. अनीथा (खेल)
तमिलनाडु की रहने वाली पी. अनीथा भारतीय महिला राष्ट्रीय बास्केटबॉल टीम की कप्तान थीं और उनके नाम पर विभिन्न राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में 30 पदक दर्ज हैं. वो राष्ट्रीय सीनियर महिला बास्केटबॉल टीम की सबसे कम उम्र की कप्तान रही हैं. वो आठ साल तक टीम की कप्तानी रहीं. इसके अलावा, वो राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों में भी हिस्सा ले चुकी हैं.
4. भूरी बाई (कला)
मध्यप्रदेश की भूरी बाई भारत के सबसे बड़े आदिवासी समूह भीलों के समुदाय से हैं. भूरी बाई अपनी चित्रकारी के लिए कागज़ और कैनवास का इस्तेमाल करने वाली प्रथम भील कलाकार हैं.
5. Lakhimi Baruah (समाज सेवा)
Lakhimi Baruah ने ग़रीब महिलाओं की मदद के लिए 1998 में जोरहाट, असम में Konoklota Mahila Urban Cooperative Bank खोला था, ताकि महिलाएं आर्थिक तौर पर स्वतंत्र और सुरक्षित महसूस कर सकें.
6. रजनी बेक्टर (व्यापार उद्योग)
क्रीमिका ग्रुप की मैनेजिंग डायरेक्टर रजनी बेक्टर ने 1978 में बिज़नेस की दुनिया में क़दम रखा था. उनकी 40 सालों से ज़्यादा समय की कड़ी मेहनत की बदौलत आज इस ग्रुप का 800 करोड़ रुपये का टर्नओवर है
7. Sangkhumi Bualchhuak (समाज सेवा)
मिज़ोरम की रहने वाली Sangkhumi Bualchhuak को मिज़ो सोसाइटी में सुधारों के लिए जाना जाता है. ख़ासतौर से उन्होंने महिलाओं के उत्थान के लिए काम किया है. उन्होंने कई ऐसी नीतियां बनाईं, जिनसे महिलाओं के जीवन के साथ समाज में भी बदलाव देखने को मिला.
8. बिजॉय चक्रवर्ती (जनसेवा)
पूर्व सांसद और असम के दिग्गज लीडर बिजॉय चक्रवर्ती को उनकी जन सेवा के लिए सम्मानित किया गया है.
9. मौमा दास (खेल)
पश्चिम बंगाल की रहने वाली मौमा दास एक भारतीय टेबल टेनिस खिलाड़ी हैं. उन्होंने 2000 के दशक की शुरुआत से अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व किया है. दास ने 2018 में महिला टीम प्रतियोगिता में स्वर्ण सहित राष्ट्रमंडल खेलों में कई पदक जीते हैं.
10. छुटनी देवी (समाज सेवा)
छुटनी देवी झारखंड की एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं. इन्हें कभी डायन बताकर यातनाएं दी गईं थीं और घर से निकाल दिया गया था. इस घटना के बाद से वे ख़ुद डायन विरोधी अभियान की कार्यकर्ता बन गईं.
11. दुलारी देवी (कला)
बिहार की रहने वाली 54 वर्षीय दुलारी देवी मिथिला पेंटिंग के लिए पद्मश्री पुरस्कार से नवाज़ा गया है.
12. राधे देवी (कला)
राधे देवी ने मणिपुर में दुल्हन को परंपरागत पोशाक पोटलोई को नया जीवन दिया है. अब तक वे 1000 से अधिक दुल्हनों के लिए विवाह परिधान तैयार कर चुकी हैं.
13. शांति देवी (समाज सेवा)
शांति देवी ओडिशा की एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं. वो ओडिशा में माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में शांति बहाल करने के लिए अपने योगदान के लिए फ़ेमस हैं. इन्होंने आदिवासी लड़कियों के विकास और शिक्षा के लिए काफ़ी काम किया है. साथ ही शांति देवी ने अनाथ और निराश्रित बच्चों की शिक्षा, पुनर्वास और व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए एक आश्रम भी स्थापित किया है.
14. अंशु जामसेनपा (खेल)
अरुणाचल प्रदेश की पर्वतारोही 41 वर्षीय अंशु जामसेनपा 2017 में पांच दिनों में दो बार माउंट एवरेस्ट को फ़तह करने वाली दुनिया की पहली महिला बनी थीं.
15. पूर्णमासी जानी (कला)
पूर्णमासी जानी ओडिशा की कुई कवि हैं. ताड़ी सरुबाई के नाम से पहचान रखने वाली पूर्णमासी जानी मानी गायिका हैं और इन्हें 50,000 से अधिक भक्ति गीतों की रचना करने का श्रेय दिया जाता है.
16. प्रकाश कौर (समाज सेवा)
जालंधर शहर की समाजिक कार्यकर्ता प्रकाश कौर ‘यूनिक होम’ नाम की संस्था का संचालन करती हैं. कौर ठुकराई हुई बच्चियों को अपनाती हैं और उनका पालन-पोषण करती है.
17. संजीदा ख़ातून (कला)
संजीदा ख़ातून बांग्लादेश की एक प्रसिद्ध सांस्कृतिक शख्सियत हैं. वो एक प्रसिद्ध रवीन्द्र संगीत की संगीतज्ञ हैं. ख़ातून ने 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के दौरान तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) के कलाकारों को संगठित करने में एक प्रमुख भूमिका निभाई थी.
18. डॉ. नीरू कुमार (समाज सेवा)
डॉ. नीरू कुमार एक चिकित्सा चिकित्सक, मनोवैज्ञानिक और विविधता और समावेशन सलाहकार हैं. वो तीन साल की उम्र से पोलियो से ग्रस्त हैं. डॉ. नीरू आधुनिक चिकित्सा, मनोविज्ञान, कोचिंग कौशल और न्यूरो-भाषाई प्रोग्रामिंग (एनएलपी) के मिश्रण के माध्यम से लोगों के जीवन को बदल रही है. इसके साथ ही वो भारतीय कंपनियों के बीच विविधता और समावेश की अवधारणा के बारे में जागरूकता बढ़ाने में अग्रणी हैं.
19. लाजवंती देवी (कला)
पटियाला जिले के त्रिपुरी की निवासी लाजवंती देवी का फुलकारी (पंजाबी पारंपरिक कढ़ाई) की परंपरा को जीवित रखने में बड़ा योगदान है. उन्हें 1995 में राष्ट्रपति पुरस्कार से भी नवाज़ा जा चुका है.
20. एम. पप्पम्माल (कृषि)
तमिलनाडु से आने वाले 105 साल की एम. पप्पम्माल भवानी नदी के किनारे अपना ऑर्गेनिक फ़ार्म चलाती हैं. इसके अलावा उनका एक प्रोविजन स्टोर भी है.
21. बीरूबाला राभा (समाज सेवा)
बीरूबाला राभा, एक समाज सेविका है जो लंबे समय से असम में डायन बताकर हत्या किए जानेवाली कुप्रथा के ख़िलाफ़ काम कर रही हैं. वो मिशन बिरुबाला नामक एक संस्था चलाती है जो लोगों में जागरूकता फैलाती है. असम में डायन प्रथा के ख़िलाफ़ कानून बनाने में उन्होंने अहम क़िरदार निभाया था.
22. बॉम्बे जयश्री रामनाथ (कला)
बॉम्बे जयश्री रामनाथ एक भारतीय संगीतकार हैं. उन्होंने तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और हिंदी फिल्मों सहित कई भाषाओं में गाया है. संगीतकारों के परिवार में जन्मी जयश्री अपने परिवार में संगीतकारों की चौथी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करती हैं.
23. सिंधुताई सपकाल (समाज सेवा)
महाराष्ट्र की सामाजिक कार्यकर्ता सिंधुताई सपकाल को बेघर बच्चों की देख-रेख करने के लिए जाना जाता है. लोग सम्मान से इन्हें हजार बच्चों की माई कहते हैं. इनके 1500 बच्चे, 150 से ज्यादा बहुएं और 300 से ज्यादा दामाद हैं. इन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी अनाथ बच्चों की सेवा में गुज़ारी है.
24. सुधा हरि नारायण सिंह (खेल)
उत्तर प्रदेश की रहने वाली बहू अंतरराष्ट्रीय स्तर की एथलीट सुधा सिंह ने रियो 2012 तथा लंदन 2016 ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया था. अंतरराष्ट्रीय स्तर वर्ष 2009 में एशियन चैंपियनशिप में रजत पदक, 2010 में हुए एशियन खेल की 3000 मीटर स्टीपलचेज स्पर्धा में स्वर्ण पदक, 2013 एशियन चैंपियनशिप में भी स्वर्ण पदक और 2018 में जकार्ता एशियन गेम्स में रजत पदक जीता था.
25. मृदुला सिन्हा (साहित्य और शिक्षा)
साहित्य, शिक्षा और राजनीति में सक्रिय मृदुला सिन्हा को मरणोपरांत ये सम्मान दिया गया है. मृदुला सिन्हा गोवा की पहली महिला राज्यपाल थीं. राजनीति के अलावा साहित्य की दुनिया में भी उनका नाम काफ़ी था. उन्होंने 46 से ज़्यादा किताबें लिखीं थीं.
26. Nidumolu Sumathi (कला)
आंध्र प्रदेश की Nidumolu Sumathi देश की पहली पेशेवर महिला मृदंग प्लेयर हैं. उन्हें मृदंग बजाने का एक जुनून है, यही वजह है कि वो आज भी घंटो इसकी प्रैक्टिस करती हैं.
27. ऊषा यादव
उत्तर प्रदेश की रहने वाली ऊषा यादव एक वरिष्ठ साहित्यकार हैं. वो कहानी संग्रह ‘टुकड़े-टुकड़े सुख’, ‘सपनों के इंद्रधनुष’ और उपन्यास ‘प्रकाश की ओर’ व ‘आंखों का आकाश’ सहित 100 से ज्यादा किताबें लिख चुकी हैं. इनमें सबसे ज्यादा सराहना बाल साहित्य पर लिखी किताबों को मिली है.
28. जसवंतीबेन जमनादास पोपट (व्यापार उद्योग)
91 वर्षीय जसवंतीबेन जमनादास पोपट उन सात गुजराती गृहिणियों में से एक है, जिन्होंने 1959 में विश्व प्रसिद्ध ‘लिज्जत पापड़’ का निर्माण करने वाली कंपनी की स्थापना एक घरेलू उद्यम के रूप में की थी.
29. Matha B. Manjamma Jogati (कला)
कर्नाटक की Matha B. Manjamma Jogati एक ट्रांसजेंडर महिला है. वो लोक कला के क्षेत्र में काफ़ी मशहूर नाम हैं.