पानी के बिना इस धरती पर जीवन संभव नहीं है. गर्मियों में तो इसकी ज़रूरत और भी बढ़ जाती है. गर्मियों में जब भी गला सूखने लगता है तो मन करता है कि जल्दी से कोई एक गिलास पानी पिला दे. राजस्थान(Rajasthan) के भीलवाड़ा के राहगीरों की प्यास बुझाने का काम एक बुज़ुर्ग पिछले 27 सालों से कर रहा है. ये आस-पास के इलाके में पानी बाबा(Pani Baba) के नाम से मशहूर हैं, चलिए जानते हैं इनकी कहानी.
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भीलवाड़ा के गुंदली गांव में रहते हैं
‘पानी बाबा’ का असली नाम मांगीलाल गुर्जर है वो 78 साल के हैं. ये भीलवाड़ा के गुंदली गांव के रहने वाले हैं. वो लोगों की प्यास बुझाने के लिए प्रसिद्ध हैं. वो आस-पास के इलाके में मटका और लोटा लेकर निकलते हैं प्यासे लोगों की प्यास बुझाते हैं.
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27 साल पहले शुरू किया था पानी पिलाने का काम
ख़ास बात ये है कि वो इसके लिए किसी तरह का कोई शुल्क या पैसा नहीं लेते. वो ये नेक काम धर्मार्थ कर रहे हैं. यही नहीं वो जिस कुएं से पानी लेकर आते हैं वो कुंआ भी उन्होंने ख़ुद अपने हाथों से खोदा है. मांगीलाल जी को बचपन से ही लोगों की सेवा करने में सुकून मिलता था. आज से 27 साल पहले अमरगढ़ और बागोर जाने वाले रोड से 3 किलोमीटर दूर अपने गांव जाने के रास्ते के चौराहे पर इन्होंने लोगों को पानी पिलाना शुरू किया था.
ख़ुद ही खोद डाला 25 फ़ीट गहरा कुआं
यहां से इनकी गांव के लिए कच्ची सड़क जाती थी. उस ज़माने में लोग पैदल या फिर बैलगाड़ी से सफ़र किया करते थे. पानी बाबा(Pani Baba) ऐसे मुसाफिरों को पानी पिलाते थे. इसके लिए उन्होंने चौराहे के पास एक कुआं भी खोदा था. ये कुंआ 25 फ़ीट गहरा है, इसी से वो पानी निकाल अपना मटका भरते और लोटे लोगों को पानी पिलाते. प्यासे लोगों को पानी पिलाकर उन्हें बड़ा अच्छा लगता.
Pani Baba घूम-घूम कर पिलाते हैं लोगों को पानी
तब से लेकर अब तक वो लोगों की प्यास बुझाते आ रहे हैं. हालांकि, गांव का विकास होने और पक्की सड़क बनने के बाद लोग अब मोटर गाड़ी से चलने लगे हैं, लेकिन फिर भी इन्होंने लोगों को पानी पिलाने का काम बंद नहीं किया. अब मांगीलाल जी कुएं से पानी भर मटके को सिर पर रख गांव-गांव जाते हैं और सबकी प्यास बुझाते हैं. उन्होंने इस काम को जारी रखने के लिए शादी तक नहीं की. उनके पास जो पुश्तैनी ज़मीन है वो भी इन्होंने अपने चाचा के बच्चों को दे दी है. उस पर अब वही खेती करते हैं.
लोग कर देते हैं खाने का इंतजाम
रही बात मांगीलाल जी की तो लोगों के बीच ये काफ़ी प्रसिद्ध हैं, ये जहां भी जाते हैं लोग इनके खाने-पीने की व्यवस्था कर देते हैं. पानी का मटका लिए ये बाबा को मांडल, बागोर, रायपुर, कोशीथल, मांडलगढ़ और राजसमंद ज़िले के आमेट, देवगढ़, कुंवारिया जैसे गांव तक हो आते हैं. ये जहां भी जाते हैं लोग इनका ख़ूब आदर-सत्कार करते हैं.
पानी बाबा के जज़्बे को हमारा सलाम.