मानसिक रूप से अक्षम लोगों के हितों का ख़्याल रखते हुए लोकसभा ने 27 मार्च को पूर्ण बहुमत के साथ ‘मेन्टल हेल्थकेयर बिल 2016’ पास कर दिया. इस बिल का मकसद मानसिक रूप में बीमार लोगों को बेहतर सुविधायें प्रदान करना है. इस बिल की सबसे बड़ी ख़ासियत रही कि इसमें आत्महत्या को अपराध की श्रेणी से हटा दिया गया है.

ये बिल राज्य सभा में पिछले साल अगस्त में पेश किया गया था. इसके बाद इसे लोकसभा में पारित करने के लिए भेजा गया, जहां लोकसभा ने भी बिना किसी बदलाव के इसे अपना पूरा समर्थन दिया.

इस बिल के आने के बाद भारत के किसी भी क्षेत्र में रहने वाले व्यक्ति के पास अधिकार है कि वो मानसिक रूप से बीमार होने की सूरत में मेडिकल सुविधाएं ले सकता है. इसके अलावा इस बिल में कहा गया है कि व्यक्ति की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के हालातों में भी उसके इलाज की व्यवस्था की जाएगी.

इस बिल के एक अनुच्छेद में आत्महत्या को अपराध की श्रेणी से दोषमुक्त कर दिया गया है. अगर कोई व्यक्ति ऐसा करता पाया जाता है, तो उसे मानसिक दवाब कहा जायेगा. इससे पहले IPC की धारा 309 के तहत इसे अपराध माना जाता था, जिसके लिए दंड का प्रावधान था.

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