कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन ने देश के प्रवासी मज़दूरों को को तोड़ कर रख दिया है. बेसहारा तो वो पहले से ही थे अब बेहाल भी हो चुके हैं. घर-गांव से दूर इन मज़दूरों का पुरसा हाल लेने वाला को नहीं है. ऐसे में ये पैदल, साइकिल, ऑटो, ट्रक के सहारे अपने घरों को लौट रहे हैं, लेकिन इनका ये सफ़र बेहद चुनौतियों भरा है. कई मज़दूर सड़क हादसों में अपनी जान गंवा चुके हैं.

महोबा हादसे में मौत का आंकड़ा बढ़ा
तीन दिन पहले दिल्ली से प्रवासी मज़दूरों को लेकर लौट रहा एक मिनी ट्रक महोबा में झांसी-मिर्ज़ापुर हाईवे पर टायर फटने से दुर्घटना का शिकार हो गया था. इस हादसे में तीन मज़दूरों की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि एक दर्जन से ज़्यादा मज़दूर घायल हो गए थे. बुधवार को झंसी मेडिकल कॉलेज में उपचार के दौरान एक और मज़दूर की मौत हो गई.
भूख-प्यास से तड़पकर मज़दूर की मौत
महाराष्ट्र में एक 40 वर्षीय मज़दूर की भूख-प्यास से तड़पकर मौत हो गई. वो पुणे जिले से पैदल ही चलकर परभणी स्थित अपने गांव जा रहा था. ये मज़दूर गन्ने के खेत में काम करता था, लेकिन लॉकडाउन के चलते पुणे स्थित अपने भाई के घर चला गया. बाद में उसने अपने गांव जाने का तय किया और 8 मई को पैदल ही निकल पड़ा. वो 14 मई को अहमदनगर पहुंचा और वहां से क़रीब 30-35 किमी चलकर धनोरा पहुंच गया. उसके पास न तो पैसे थे और न ही मोबाइल फ़ोन, उसने किसी शख़्स से फ़ोन लेकर 14 मई को घरवालों से बात की थी. जब वो धनोरा पहुंचा तो काफ़ी थक चुका था और टिन के शेड के नीचे आराम करने लगा.

सोमवार को वहां से गुज़रने वालों को बदबू लगी तो पुलिस को सूचना दी गई. मौके पर पहुंची पुलिस ने देखा कि वो मर चुका है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पता चला कि मज़दूर पिंटू पवार की मौत ज़्यादा चलने और भूख और शरीर में पानी की कमी के चलते 15 मई को हुई थी.
7 माह की गर्भवती महिला दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर फंसी
दिल्ली-गाज़ीपुर बॉर्डर पर बड़ी संख्या में प्रवासी मज़दूर फंस गए हैं. ये सभी अपने घर लौटना चाहते हैं, लेकिन पुलिस इन्हें सीमा पार करने की इजाज़त नहीं दे रही है. इन सबके बीच एक 7 माह की गर्भवती महिला भी अपने डेढ़ साल के बच्चे के साथ फंसी हुई है. गाज़ियाबाद की रहने वाली पूजा ने पुलिस को अपनी हालत के बारे में बताया लेकिन इसके बाद भी उन्हें अपने गृहराज्य जाने की इजाज़त नहीं मिल पा रही है. उनकी हालत बहुत ख़राब है.
Delhi: Migrant workers who want to go home are stranded at Delhi-Ghazipur border amid the lockdown. One of them, Pooja who belongs to Ghaziabad says, “I’m 7 months pregnant&have a 1.5-year-old child.I want to go home but police are not allowing us to move towards our home state”. pic.twitter.com/Oz40t02eJH
— ANI (@ANI) May 21, 2020
मज़दूरों के संक्रमित होने का खतरा भी बढ़ा
देश में हज़ारों की तादाद में प्रवासी मज़दूर पलायन करने को मजबूर हैं. ये बस, ट्रक या जो भी संसाधन मिल जाए, उसमें भरकर किसी तरह सफ़र कर रहे हैं. ऐसे में इनके लिए सोशल डिस्टेंसिंग मेनटेन करना नामुमकिन है. यही वजह है कि बड़ी संख्या ये मज़दूर कोरोना वायरस की चपेट में आ रहे हैं.
बुधवार को बिहार के पटना में 70 लोगों की जांच रिपोर्ट आई तो उसमें 9 लोग कोरोना पॉज़िटिव पाए गए. ये सभी प्रवासी मज़दूर हैं, जो हाल ही में बाहर से लौटकर आए थे. वहीं, भोजपुर में छह प्रवासी मज़दूर कोरोना संक्रमित पाए गए. यहां अब तक 44 लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं. 26 नए संक्रमितों में से 23 प्रवासी मज़दूर हैं.

वहीं, यूपी के बस्ती जिले में वापस पहुंचे 50 प्रवासी श्रमिक कोरोना पॉज़िटिव पाए गए हैं. पॉज़िटिव पाए गए लोगों में सभी प्रवासी मज़दूर हाल ही में महाराष्ट्र से बस्ती वापस लौटे हैं.
बता दें, लगातार प्रवासी मज़दूरों के मरने और उनके संक्रमित होने की ख़बरें देशभर से आ रही हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक़, लॉकडाउन लागू होने से अब तक 162 प्रवासी मज़दूरों की मौत हुई है और सैकड़ों घायल हुए हैं. बीते दो सप्ताह में ही 40 से ज़्यादा मज़दूरों ने सड़क हादसों में अपनी जान गंवाई है.