पहले तो मानसून देश में काफ़ी देर से पहुंचा और अब जाने का नाम नहीं ले रहा. लेट मानसून की मार उत्तर प्रदेश और बिहार पर पड़ रही है.


रिपोर्ट्स के मुताबिक़ उत्तर प्रदेश और बिहार में 72 घंटों के अंदर 100 से ज़्यादा लोगों की मृत्यु हो चुकी है. Hindustan Times की रिपोर्ट के मुताबिक़ 22 Interstate ट्रेनें भी कैंसिल की जा चुकी हैं.

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Indian Meteorological Department के मुताबिक़ अगले 4-5 दिनों में भारी वर्षा का अनुमान है. 1960 से IMD मॉनसून का रिकॉर्ड रख रहा है और ये पहली बार है कि मानसून अक्टूबर के दूसरे सप्ताह तक भारत में रहेगा. 

बिहार के हालात 

हर साल की तरह इस साल भी बिहार बाढ़ से जूझ रहा है. इस बार राजधानी पटना भी बाढ़ से अछूती नहीं रही. कहीं कमर तक तो कहीं गर्दन तक पानी भर गया है. अस्पताल, घर कोई जगह बाक़ी नहीं रही है. 

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IMD ने रविवार और सोमवार को भारी वर्षा की वॉर्निंग दे दी थी और राज्य सरकार को समय रहते उचित क़दम उठाने के निर्देश भी दिए थे पर फिर भी तस्वीरें कुछ और ही दास्तां बयां कर रही हैं.


शनिवार को बिहार में 84.5 mm बारिश रिकॉर्ड की गई जो सामान्य से 5.7 mm ज़्यादा थी. सबसे अधिक बारिश समस्तीपुर, भागलपुर, बेगुसराय और भोजपुर ज़िलों में हुईं. इन ज़िलों में 24 घंटों में 130 mm बारिश हुई.  

Live Mint की रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार शाम से बारिश कम होने लगेगी. उत्तर भारत की कई नदियां ख़तरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. 


19 सितंबर तक बिहार में सामान्य से 20% कम बारिश हुई थी और अब ये -2% हो गया है मतलब सामान्य से 2% ज़्यादा. 

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को सभी ज़िलाधिकारियों की बैठक बुलाई और पटना में पत्रकारों से कहा,

‘हम हर संभव कोशिश कर रहे हैं. मैं लोगों से धैर्य और हिम्मत बनाए रखने की अपील करता हूं.’

नीतीश कुमार ने ये भी कहा कि ये बारिश ‘जलवायु परिवर्तन’ का नतीजा है. उनका ये भी दावा था कि Meteorologists भी वर्षा का सही अनुमान नहीं लगा पाए. 

उत्तर प्रदेश के हालात 

नरेंद्र मोदी के चुनाव क्षेत्र वाराणसी की हालत ये तस्वीरें बयां कर रही हैं 

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NDTV की रिपोर्ट के अनुसार बीते गुरुवार से अब तक उत्तर प्रदेश में बाढ़ से 93 लोगों की मृत्यु हो चुकी है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसी भी सरकारी अधिकारी को छुट्टी न देने की घोषणा कर दी. 

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उन्होंने बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत कार्य में तेज़ी लाने का आश्वासन दिया.


दोनों ही राज्यों के मुख्यमंत्री इस बार भी समय रहते क़दम उठाने में नाक़ामयाब रहे.