लॉकडाउन के चलते हज़ारों प्रवासी मज़दूरों के रोज़गार ख़त्म हो गए. इनके पास न ही कोई बचत है और न ही खाना, ऐसे में ये मज़दूर अपने घरों को लौटने पर मजबूर है. हज़ारों की संख्या में ये प्रवासी अपने घर-गांव की ओर पलायन कर रहे हैं. 

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एक मज़दूर आकाश ने बताया कि वो कल ही स्पेशल ट्रेन से मुंबई से मुरादाबाद लौटा है. लॉकडाउन के दौरान मुंबई में रहना बेहद मुश्क़िल हो गया था. जिसके लिए वो काम करता था, उसने पैसा देने से मना कर दिया. उसके पास न तो पैसा था और न ही खाना. उसने कहा कि अब वो शहरों में नहीं जाएगा बल्कि अपने ही जिले में काम तलाश करेगा. 

Hindustan Times के मुताबिक़, उत्तर प्रदेश लौटने वाले हज़ारों प्रवासी मज़दूरों में से क़रीब 414 में Covid-19 के लक्षण नज़र आए हैं. 

यूपी में आशा कार्यकर्ताओं की मदद से स्वास्थ्य अधिकारी, राज्य लौटने वाले सभी प्रवासी श्रमिकों का परीक्षण करने की कोशिश कर रहे हैं. वे अब तक 3.50 लाख श्रमिकों का परीक्षण कर चुके हैं. 

यूपी के स्वास्थ्य सचिव अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि इन प्रवासी मजदूरों को शेल्टर होम में ले जाया जाता है, जहां वो पहले थर्मल स्क्रीनिंग से गुज़रते हैं. उसके बाद अधिकारियों द्वारा तेज़ी से परीक्षण और पूल परीक्षण किया जाता है. अंत में यदि उनमें से कोई एक भी पॉज़िटिव पाया जाता है, तो फिर ग्रुप के हर सदस्य की अलग-अलग जांच की जाती है. 

सारी प्रक्रिया पूरी करने के बाद जिन मज़दूरों में किसी प्रकार के लक्षण नज़र नहीं आते हैं, उन्हें 21 दिन के लिए होम क्वारंटीन में भेज दिया जाता है. 

बता दें, उत्तर प्रदेश में अब तक 4,464 लोग कोरोना वायरस संक्रमित हो चुके हैं. वहीं, राज्य में 112 मरीज़ों की मौत हुई है.