सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) ने भारतीय बाज़ार में बिकने वाले शहद की जांच की. इस टेस्ट में मशहूर ब्रांड्स के शहद टेस्ट में फ़ेल हो गए हैं. CSE खाद्य शोधकर्ताओं ने डाबर, पतंजलि, बैद्यनाथ और झंडू सहित 13 शीर्ष और छोटे ब्रांड वाले प्रोसेस्ड शहद को टेस्ट के लिए चुना, जिन्हें राष्ट्रीय खाद्य नियामक क़ानूनों के तहत शहर के रूप में लेबल किया जाता है. 

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ज़्यादातर ब्रांड मस्टर से पास हो गए, लेकिन जब इन्हीं ब्रांड्स को न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस (NMR) परीक्षण पर परखा गया तो लगभग सभी ब्रांड के नमूने फ़ेल पाए गए. इन्हें जर्मनी की विशेष प्रयोगशाला में जांचा गया था. 13 ब्रांड परीक्षणों में सिर्फ़ 3 ही एनएमआर परीक्षण में पास हो पाए. 

CSE के फ़ूड सेफ़्टी एंड टॉक्सिन टीम के कार्यक्रम निदेशक अमित खुराना ने कहा कि, ‘हमें जो मिला वो चौंकाने वाला था. ये बताता है कि मिलावट का कारोबार कितना विकसित है, जो खाद्य मिलावट को भारत में होने वाली टेस्टिंग से आसानी से बचा लेता है. हमने पाया कि शुगर सिरप इस तरह से डिज़ाइन किए जा रहे कि उनके तत्वों को पहचाना ही न जा सके.’

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हालांकि, डाबर ने अपने शहर में शुगर सिरप की मिलावट से इन्कार किया है. उनका कहना है कि डाबर का शहद 100 फ़ीसदी शुद्ध और देसी है. 

मिलावट के कारोबार का चीनी कनेक्शन

CSE की जांच में कहा गया है कि शहद के कारोबार में कुछ भारतीय कंपनियां चीन से सिंथेटिक शुगर सिरप लाकर शहद में मिलावट कर रही थीं. 

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CSE ने अलीबाबा जैसे चीन के व्यापारिक पोर्टल्स की छानबीन की जो अपने विज्ञापनों में फ्रक्टोज़ सिरप भारतीय परीक्षणों को बाईपास करने का दावा करते हैं. हालांकि, CSE पुख़्ता तौर पर ये नहीं कह सकता है कि जो शुगर सिरप चीन से ली गई है, उसका इस्तेमाल टेस्ट किए गए किसी भारतीय ब्रांड में हुआ है या नहीं.

वहीं, CSE ने उत्तराखंड के जसपुर में उस फैक्ट्री को भी खोजा, जो मिलावट के लिए सिरप बनाती है. वे सिरप के लिए ‘ऑल पास’ कोडवर्ड का इस्तेमाल करते हैं. सीएसई के परीक्षणों में पता चला कि शुगर सिरप भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के शहद मानकों को बाईपास कर सकते हैं.

फ़ायदे के बजाय पहुंचा रहा नुकसान

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CSE की महानिदेशक सुनीता नारायण ने कहा, ‘हम अधिक शहद का उपभोग कर रहे हैं ताकि महामारी से लड़ सकें, लेकिन शुगर की मिलावट वाला शहद हमें बेहतर नहीं बना रहा है. असल में यह हमें और खतरे में डाल रहा है.’

बता दें, CSE द्वारा जर्मन परीक्षण प्रयोगशाला में भेजे गए तीन कंपनियों के सैंपल सफोला, मार्कफेड सोहना और नेचर्स नेक्टर ने NMR टेस्ट पास किया. हालांकि, CSE ने जर्मन टेस्टिंग लैब के नाम का खुलासा नहीं किया है.