मां-बेटे का रिश्ता क्या और कैसा होता है, ये शायद किसी को समझाने की ज़रूरत नहीं. वहीं दिल्ली से मां-बेटे के पवित्र रिश्ते को कंलकित कर देने वाली ख़बर सामने आई है. किसी ने सही कहा है कि ये कलयुग है भाई, कलयुग में कुछ भी संभव है.

दिल्ली की अदालत ने 48 साल के आदमी को उसकी मां के बलात्कार के ज़ुर्म में 4 साल की सज़ा सुनाई है. घटना सितंबर 2012, दक्षिण-पूर्वी दिल्ली बदरपुर की है. 23 सितबंर की उस काली रात को नशे में धुत बेटे ने अपनी विधवा मां को जबरन कमरे में घसीट कर बंद लिया. बूढ़ी और बेबस मां मदद की गुहार लगाती भी तो किससे. बेटे ने पहले तो एक-एक कर मां के सारे कपड़े उतार डाले, फिर जो हुआ वो कोई मां अपने सपने में भी नहीं सोच सकती. कलयुगी बेटे ने इतनी बेहरमी से अपनी विधवा मां का बलात्कार किया कि वो खून से लथपथ हो गई.

पीड़ित महिला इतनी बुरी तरह जख़्मी हो चुकी थी कि कई दिनों तक वो अस्पताल में ज़िंदगी और मौत के बीच जूझती रही. वहीं पीड़िता ने हार नहीं मानी और घटना के करीब 9 महीने बाद NGO की मदद से आरोपी पुत्र के खिलाफ़ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. 2014 में सुनवाई के दौरान, अदालत ने मामले के अभियुक्त को दोषी ठहराते हुए, अभियुक्त की गिरफ़्तारी का आदेश जारी कर दिया.

2015 में टिप-ऑफ़ के आधार पर मामले के आरोपी और कंलकित बेटे को उत्तर प्रदेश से गिरफ़्तार कर लिया गया.

7 जून को मामले की सुनवाई करते हुए, जज संजीव जैन ने आरोपी बेटे को अपनी मां का बलात्कार करने के जुर्म में चार साल की कारावास की सज़ा सुनाई.

यहां सवाल ये उठता है कि क्या महज़ चार साल की सज़ा से विधवा मां का दर्द ख़त्म हो जाएगा. पल-पल मरती मां की ज़िंदगी में सब कुछ ठीक हो जाएगा, बिल्कुल नहीं. वाकई मां-बेटे के रिश्ते को शर्मशार कर देने वाली ये ख़बर सुनने के बाद, तो यही लगता है कि ऐसा बेटा होने से अच्छा है कि महिला बेऔलाद रहे.

Source : hindustantimes

Feature Image Source : chandaulisamachar