खालिस्तान की आग में झुलस चुके पंजाब में अब बेशक शांति दिखाई देती हो, पर इसके जख़्म आज भी लोगों के ज़हन में ताजा से जान पड़ते हैं. रह-रह कर ऐसे कई मामले सामने आते रहते हैं, जहां खालिस्तान द्वारा दिए गए ज़ख्मों का दर्द लोगों के चेहरे पर उभर आता है.
ताजा मामला पंजाब के ही तर्ण तारण डिस्ट्रिक्ट का है, जहां 60 साल की महिला ने 26 साल पहले अपने दो बच्चों को चेन से बांध कर एक कमरे में बंद कर दिया था. हिंदुस्तान टाइम्स की ख़बर के मुताबिक, 1991 में आतंकियों ने घर में घुस कर बच्चों के पिता को मार दिया था, जिससे घबरा कर सिमरजीत कौर ने अपने 4 में से 3 बच्चों को कमरे में बंद कर उन्हें बांध दिया था.
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उस समय उनके बेटे गुरसाहिब सिंह की उम्र 5 साल और बेटी कुलदीप की उम्र 6 साल थी. अब दोनों की उम्र 30 साल के आस-पास है. जबकि एक बेटी की मौत 2003 में हो गई थी. फ़िलहाल दोनों बच्चे मानसिक रूप से बीमार हैं, जिनकी हालत के लिए सिमरजीत आतंकियों को ज़िम्मेदार मानती हैं.
सिमरजीत का कहना है कि ‘उस रात आतंकी हमारे घर में घुसे और लूट-पाट करने लगे. उन्होंने हमारे सामने मेरे पति की हत्या कर दी और बच्चों को बंदूक की बट से मारा. इस हादसे का बच्चों के दिमाग पर बुरा असर हुआ और वो आने-जाने वाले लोगों पर चिल्लाने लगे और अकेले छोड़ने पर आत्महत्या की कोशिश करने लगे.’
सिमरजीत आगे कहती हैं कि अपने बच्चों के साथ ऐसा करते हुए उनका दिल किस तरह रोया. इसे सिर्फ़ वो ही समझ सकती हैं.
उनकी एक बेटी इस हादसे से उभर गई थी, जिसकी शादी करा दी गई. सिमरजीत का कहना है कि अपने बच्चों को बचाने के लिए उन्होंने अपनी ज़मीन, जायदाद और घर तक बेच दिया.
इस ख़बर के सामने आने के बाद अमृतसर की एक पिंगलवाड़ा चैरिटेबल सोसाइटी ने 2012 में बच्चों की मदद की पेशकश थी, जिसे सिमरजीत ने इसलिए ठुकरा दिया क्योंकि वो अपने बच्चों को खुद से दूर नहीं भेजना नहीं चाहती थीं.