Mother Son Travel Partner: ऐसा शायद ही कोई होगा, जिसे ट्रैवल (Travel)करना पसंद नहीं होगा. जब भी लोगों को कुछ दिन की छुट्टियां मिलती हैं, या कुछ दिनों का फ़्री टाइम मिलता है, तो उनके अंदर के घुम्मकड़ का सोया हुआ कीड़ा जाग उठता है. लोग अपने दोस्तों या पार्टनर्स के साथ ट्रिप प्लान करने लगते हैं और किसी ख़ूबसूरत डेस्टिनेशन की ओर निकल पड़ते हैं. बहुत से लोगों को फ़ैमिली के साथ जाना बोरिंग लगता है, इसलिए वो अपने दोस्तों या पार्टनर को ही ट्रिप पर ले जाना प्रेफ़र करते हैं.
हालांकि, आज हम आपको ऐसे लड़के के बारे में बताएंगे, जिसकी ट्रैवल पार्टनर (Mother Son Travel Partner) कोई और नहीं बल्कि उसकी मां हैं. आइए जानते हैं इस मां-बेटे की जोड़ी की ट्रैवल स्टोरी के बारे में.
मौजूदा समय में सोशल मीडिया पर एक युवा लड़के एस वेंकटेश की अपनी 63 वर्षीय मां सुभा सूर्यनारायण के साथ यात्राएं करने की तस्वीरें ख़ूब वायरल हो रही हैं. वेंकटेश अपनी मां के साथ देश के अधिकांश हिस्सों की यात्राएं कर चुके हैं. इन डेस्टिनेशन में शिमला, ऋषिकेश, जिभी, गोवा, जयपुर, चंडीगढ़, धर्मशाला, अमृतसर और कश्मीर जैसी जगहें शामिल हैं. वेंकटेश के मुताबिक, जो कंफ़र्ट उन्हें अपनी मां के साथ ट्रैवल करने में मिलता है, वो उन्हें और किसी के साथ नहीं मिलता.
मां-बेटे की ये जोड़ी पराशर झील ट्रैक और सेरोल्सर लेक ट्रेक एक साथ पूरा कर चुकी है. जान लीजिए कि इन दोनों ट्रेक को पार करना कोई हलवा नहीं है. एक पोर्टल को दिए इंटरव्यू में एस वेंकटेश ने अपनी कूल ट्रेवल पार्टनर के बारे में बात करते हुए उनके जज़्बे की तारीफ़ की. उन्होंने बताया कि उन्हें कभी अपनी मां को बाहर जाने के लिए मनाना नहीं पड़ा. उन्होंने आगे कहा,
वो हमेशा एडवेंचर के लिए रेडी रहती हैं. जो लोग ये सोचते हैं कि पेरेंट्स के साथ ट्रैवल करना कठिन है, मुझे लगता है कि वो ग़लत हैं. ये बहुत ही वंडरफ़ुल और बेस्ट ट्रेंड है, जो हमने बतौर परिवार शुरू किया है. वो हमेशा नई चीज़ों को ट्राई करने के लिए और मेरे साथ भारत घूमने के लिए एक्साइटेड रहती हैं.
चार साल पहले हुआ था वेंकटेश के पिता का निधन
वेंकटेश के लिए उनकी मां बेस्ट ट्रैवल पार्टनर हैं. वो ट्रिप के दौरान उनसे मस्ती-मज़ाक भी करती हैं और दोनों साथ में उन पलों को एंजॉय करते हैं. वेंकटेश ने अपने पिता को उनके कुछ हेल्थ इश्यूज़ के चलते चार साल पहले खो दिया था. जहां वेंकटेश और मिसेज़ सूर्यानारायण अभी भी इस अपरिवर्तनीय क्षति से दुखी हैं, वहीं ये यात्राएं और उन दोनों का एक साथ बिताया हुआ समय उनके दर्द में हल्का बाम लगाता है. (Mother Son Travel Partner)
वेंकटेश कहते हैं कि हम भूल जाते हैं कि हर चीज़ नाज़ुक होती है और चीज़ें एक पल में ही बदल जाती हैं. उनका कहना है कि पेरेंट्स को बाकी चीज़ों से ज़्यादा प्राथमिकता देने में कभी देर नहीं होती है. उनकी अपील है कि लोग ज़्यादा से ज़्यादा अपने पेरेंट्स के साथ ट्रैवल करें, उनसे बात करें और उनके साथ रहें. ये मां-बेटे की जोड़ी अपनी अगली ट्रिप अगस्त में प्लान कर रहे हैं, क्योंकि वेंकटेश की मां का जन्मदिन अगस्त में हैं. वो या तो फूलों की घाटी वाला ट्रेक या हेमकुंड ट्रेक पर जाने के लिए सोच रहे हैं.
ट्रैवल करना ज़िंदगी को एक नया नज़रिया देता है और शायद इस मां-बेटे की जोड़ी को भी ऐसा करने से ज़िंदगी जीने का एक नया नज़रिया मिल गया है.