किसान देश के अन्नदाता माने जाते हैं. असलियत में तो बस माने ही जाते हैं क्योंकि कभी तो उन्हें अपनी फ़सल का पूरा पैसा नहीं मिलता है और कभी उन्हें सरकारी समितियां बेवकूफ बनाने का काम करती हैं. अब बात मध्य प्रदेश की है, जहां कुछ किसान बैंक से पैसे लेने गये थे. बैंक वालों ने उन्हें दो हज़ार का नोट दिया. इसमें हैरानी की बात ये है कि उन्हें जो नोट मिला था, उस पर महात्मा गांधी की तस्वीर नहीं थी. आपको बता दें कि ये किसान शिवपुर जिले के बिच्छुगावदी गांव के रहने वाले थे.

कृष्ण मीना और उनके साथियों को ये नोट स्टेट बैंक की एक ब्रांच में दिए गए. उन्होंने उस वक़्त तो इन नोटों पर ध्यान नहीं दिया, पर जब खरीदारी करने के लिए ये नोट लेकर वे बाज़ार गये तो उन्हें दुकानदारों ने नोट के नकली होने की बात बताई. फिर सारे लोग नोट लेकर बैंक गये और इसकी शिकायत की. बैंक के अधिकारी ने ऐसा कहा कि नोट बिलकुल असली है, पर प्रिंटिंग मिस्टेक के कारण ऐसा हो गया है. फिर बैंक वालों ने पैसे वापस ले लिए. बाद में पता चला कि नोट मध्यप्रदेश के नोट प्रेस देवास में छपे थे. अभी कुछ दिन पूर्व RBI ने भी माना कि नये छपे हुए नोटों में बहुत सी खामियां हैं. हो सकता है कुछ प्रिंटिंग मिस्टेक वाले नोटों का भी सर्कुलेशन हो गया हो. फिर भी ऐसे नोट वैलिड माने जाएंगे. इस घटना का ट्विटर पर बहुत मज़ाक बनाया गया. देखिये कुछ चुनिन्दा ट्वीट्स.

उनके भरोसे ही आपका पेट भरता है. तो किसानों को बेवकूफ बनाना छोड़ दीजिए.