भूर्ण हत्या हमारे समाज में पैदा हुआ एक ऐसा अभिशाप है, जिसका असर आने वाली पीढ़ियों तक दिखाई देने वाला है. भले ही सरकार की कोशिशों और प्रशासन की पाबन्दी के बाद इस पर लगाम लगी है, पर अभी भी इसके दुष्प्रभाव दिख रहे हैं. इसका जीता-जगाता उदाहरण है मध्य प्रदेश के भिंड का गुमरा गांव, जहां बड़े पैमाने पर लड़कियों की भ्रूण हत्या की गई. इस बाबत कभी कोई शिकायत नहीं हुई और न ही ये मामला कभी मीडिया में आया.

इसी का परिणाम था कि पिछले 4 दशकों के दौरान इस गांव से कभी किसी लड़की की शादी की ख़बर नहीं आई. पिछले साल दिसम्बर के अंत में यहां से 18 वर्षीय आरती गुर्जर शादी करके विदा होने वाली पहली महिला बनी. आरती की शादी पहले मार्च में होनी थी, पर बोर्ड एग्ज़ाम की वजह से ये शादी पहले कर दी गई. इसके अलावा रचना गुर्जर दूसरी ऐसी लड़की थीं, जो इस गांव से ब्याही गई.

दोनों शादियों में गांव के लोगों ने धूम-धाम से हिस्सा लिया, पर इसी के साथ इस सच्चाई को छिपाते हुए भी दिखाई दिए कि वो कितना बड़ा गुनाह कर चुके हैं.

गांव की एक महिला का कहना है कि हर गर्भवती महिला चूने, दूध और तम्बाकू को देख कर डरती है, क्योंकि इनका इस्तेमाल गर्भ गिराने के लिए किया जाता है.