माहमारी के दौर में जब हम सभी आर्थिक तंगी से गुज़र रहे थे, तभी मुकेश अंबानी प्रति घंटे 90 करोड़ रुपये कमा रहे थे. Oxfam की रिपोर्ट के मुताबिक, लॉकडाउन में प्रति घंटे के हिसाब से मुकेश अंबानी ने 90 करोड़ रुपये कमाये हैं. इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि हर सेकेंड अंबानी की जितनी इनकम हुई, उतना किसी मजदूर को कमाने में कम से कम तीन साल लेगेंगे.
कोविड-19 की वजह से Oxfam की इनइक्वैलिटी रिपोर्ट को इनइक्वैलिटी वायरस रिपोर्ट के नाम से जारी किया गया. ख़बर के अनुसार, लॉकडाउन में एक तरफ़ जहां मुकेश अंबानी धल्लड़े से कमाई कर रहे थे. वहीं देश के 24 प्रतिशत लोगों की प्रति माह इनकम 3 हज़ार रुपये से कम रही. मतलब उन्होंने प्रति घंटे जितने कमाया, अगर कोई अकुशल मज़दूर उतना कमाने की सोचे, तो उसे लगभग 10 साल का समय लगेगा. वहीं आम इंसान को ये रक़म जुटाने में तीन साल लग जायेंगे.
Oxfam की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, माहमारी की वजह से सबसे अमीर और ग़रीब के बीच ख़ुदी खाई पहले से चौड़ी हो गई है. हांलाकि, ग़रीब और अमीर के बीच का ये अंतर सिर्फ़ भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में बढ़ा है. इसके साथ ही कोविड-19 में भारतीय अरबपतियों की संपत्ति में क़रीब 35 प्रतिशत तक की वृद्धि देखी गई, जो कि 2009 के मुक़ाबले 90 प्रतिशत बढ़ी है.
इतना सब पढ़ने के बाद बस यही कहना है कि हे प्रभु अगले जन्म मुझे अंबानी ही बनाना, क्यों सही कहा न?