लोग सही कहते हैं, जीवन और मृत्यु इंसान के हाथ में नहीं है. आप नहीं जानते कि अगले पल क्या होने वाला है. कहां इंसान दुनिया छोड़ दे और कहां मौत उसे धोका दे दे. किस्मत में अगर मृत्यु लिखी है, तो आप लाख कोशिशों के बाद भी जी नहीं सकते और अगर जीवन लिखा है, तो मरने की हर कोशिश विफ़ल हो जाएगी.
मुम्बई का ऐसा ही एक किस्सा बीते दिन सामने आया है. 65 वर्षीय दिनकर सकपाल ने विक्रोली स्टेशन पर एक ट्रेन के आगे कूद कर जान देने की कोशिश की. ये घटना मंगलवार सुबह 11:30 बजे की है. दिनकर पर से ट्रेन गुज़र गई, पर उनकी किस्मत में शायद मौत नहीं लिखी थी.
दिनकर लोकल ट्रेन के सामने जब कूदे, तब वो प्लैटफ़ॉर्म पर आ रही थी और उसकी स्पीड कम थी. ट्रेन के पांच कोच उन पर से गुज़र गए और इतने में ड्राइवर ने ब्रेक मार दी. ये देखते ही रेलवे पुलिस फ़ोर्स के सिपाही दिनकर को बचाने के लिए कूदे.
पूछे जाने पर दिनकर ने बताया कि वो काफ़ी बीमार और Depression में थे, इसलिए ये कदम उठाया. लगभग 6 महीने पहले उनके पेट में तक़लीफ़ थी, जिसका जेजे हॉस्पिटल में आॅप्रेशन हुआ था. कुछ महीने बाद वो दर्द दोबारा उठ गया और उसी वक्त उन्हें पता चला कि उन्हें मुंह का कैंसर भी है. उन्हें डॉक्टरों ने बताया था कि वो ज़्यादा दिन ज़िन्दा नहीं रहेंगे. इसी वजह से वो परेशान थे और ये फ़ैसला लिया.
मंगलवार की सुबह वो घर से बिना बताए निकले और स्टेशन पर आत्महत्या करने की कोशिश की. जब दिनकर बच गए, तो उन्होंने गटर में कूद कर जान देने की कोशिश की, लेकिन सिपाहियों ने दोबारा उन्हें बचा लिया.
घाटकोपर आरपीएफ़ इंस्पेक्टर ब्रजेश कुमार ने Mid Day से बतया कि-
उनकी बीमारी और डिप्रेशन के बारे में सुनने के बाद हमने उसकी काउंसलिंग की और उनको भविष्य में ऐसा न करने की सलाह दी. इसके बाद मैंने दूसरे आॅफ़िसर के साथ उन्हें घर छुड़वा दिया.
दिनकर ने बताया कि वो अब ऐसा कोई काम नहीं करेंगे और ज़िन्दगी का बचा हुआ समय परिवार के साथ ही बिताएंगे.