मुंबई के कांदिवली का एक हाउसिंग कॉम्प्लेक्स पर्यावरण के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी समझते हुए कई सराहनीय कदम उठा रहा है. Raheja Eternity नाम की इस सोसाइटी ने अब तक रेनवॉटर हारवेस्टिंग, LED बल्बे का इस्तेमाल, सोलर पावर, ग्रीन कवर और वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट जैसे कई ईको-फ्रे़ेंडली तरीकों का इस्तेमाल किया है. 230 परिवारों का ये छोटा सा समूह देश में ग्लोबल वॉर्मिंग के खतरों के बीच उम्मीद की किरण के तौर पर सामने आया है.
इस 20 मंज़िला बिल्डिंग में रहने वाले लोगों ने सोलर पावर के इस्तेमाल के साथ ही बिजली ग्रिड पर 60 प्रतिशत निर्भरता को खत्म कर दिया है. हाल ही में सोसाइटी के लोगों ने 35 लाख रुपये जमा कर विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर 65 किलोवॉट का सोलर सिस्टम लगवाया है.
इससे पहले भी इस बिल्डिंग में सभी बल्ब हटाकर बिजली बचाने वाले एलईडी बल्ब का इस्तेमाल शुरू हुआ था. यहां रहने वाले एक शख़्स और अल्टरनेटिव एनर्जी के कॉर्डिनेटर विशाल ने कहा कि ‘यहां करीब 211 पैनल ऐेसे हैं जो 260 से 280 यूनिट्स प्रतिदिन पैदा करते हैं. लेकिन जब से इस सोसाइटी ने ट्यूबलाइट्स की जगह 650 एलईडी बल्ब लगवाएं हैं, उसके बाद से प्रतिदिन खर्च होने वाले यूनिट्स में काफी कमी आई है. हालांकि इन सभी बल्ब की कीमत 80,000 रु थी, लेकिन इनके दूरगामी फ़ायदे और ईको-फ्रेंडली होने के चलते इसे पैसा वसूल माना जा रहा है’.

ये सोसाइटी पहले रोज़ाना 863 यूनिट्स का इस्तेमाल करती थी, अब एलईडी के इस्तेमाल के बाद बिजली ग्रिड से केवल 337 यूनिट्स की ही खपत होती है. यही कारण है कि ये सोसाइटी अब हर महीने 2.2 लाख रुपये बिजली के बिलों पर बचा लेती है. इसके अलावा Maintenance में भी तीन गुना कमी आई है.
वेस्टवॉटर ट्रीटमेंट प्लांट होने की वजह से यहां के लोगों को वाशरूम या अन्य जगहों पर पीने के पानी को वेस्ट नहीं करना पड़ता. इस ट्रीटमेंट प्लांट की वजह से पीने लायक साफ़ पानी की काफी बचत होती है. हाल ही में सोसाइटी के लोगों ने पानी बचाने के लिए नलों में Nozzles को फ़िट कराया है, जिससे बरतन धोते समय या ब्रश करते वक्त पानी की बर्बादी में कमी आती है. यहां रहने वाले एक शख़्स के मुताबिक, इससे पानी की बर्बादी का औसत प्रति मिनट 8 लीटर से घट कर 3 लीटर हो गया है.
सोसाइटी के लोगों का प्रयास है कि अगले एक महीने के अंदर सेंसर सिस्टम की भी व्यवस्था करा ली जाए. सेंसर के लगने से लाइट्स तभी जलेंगी जब कोई सेंसर के सामने से गुज़रेगा. इससे बल्ब की लाइफ़ में 9 गुना वृद्धि होती है. इसके अलावा दो ऑटोमेटेड मशीनों के इंस्टाल करने के बाद किचन के waste को खाद में बदल दिया जाना भी संभव हो पाएगा.
लोकल म्युनिसिपल वार्ड ऑफ़िसर का कहना था कि ‘रहेजा इटर्निटी ने दूसरी हाउसिंग सोसाइटीज़ के लिए एक बेहतरीन उदाहरण पेश किया है’. साहेबराव गायकवाड़ का कहना था कि ‘कई बार ऐसा हुआ है जब इस सोसाइटी ने एक मुहिम या किसी पहल की शुरुआत की और उसके बाद कई और सोसाइटीज़ ने इसे फ़ॉलो किया. कॉरपोरेशन कम से कम रहेजा इटर्निटी सोसाइटी को लेकर निश्चिंत रहता है, क्योंकि इस सोसाइटी का पर्यावरण से जुड़ी चीज़ों को लेकर सकारात्मक रवैया है’.
उम्मीद है प्रकृति और पर्यावरण को लेकर संजीदा इन लोगों का ये संदेश देश ही नहीं, विदेश में भी फ़ैलेगा और मुंबई की इस सोसाइटी से देश के दूसरे शहर भी प्रेरणा लेंगे.