रोड साइड लगे पोस्टर्स में आजकल ऐसे बाबाओं की भी तस्वीरें दिखाई देने लगी हैं, जो गाय को राष्ट्रीय पशु बनाने की मांग कर हैं. बाबाओं के ये पोस्टर देख कर लगता है कि इन्हें न देश के इतिहास का ज्ञान है और न ही धर्म की समझ, क्योंकि भारतीय संविधान ने पहले ही टाइगर को राष्ट्रीय पशु का दर्जा दिया हुआ है, जो हिन्दू धर्म में मां दुर्गा का वाहन है.
बाबाओं के इन पोस्टर को देख कर कई बार ऐसा लगता है कि ये बस धर्म का ढकोसला दिखा कर अपना उल्लू सीधा करने पर तुले हुए हैं, जिनकी अंधभक्ति में हम भी आंख बंद कर सब सही मान बैठे हैं.
पर आज भी कुछ ऐसे लोग हैं, जो बिना किसी फ़ायदे और लालच के गायों के पालन-पोषण में लगे हुए हैं. ऐसे ही लोगों में से एक हैं उत्तर प्रदेश के पुरकाज़ी के रहने वाले सर्वाथ अली, जिन्होंने शहर में बन रही गौशाला के लिए 2 बीघा ज़मीन दान कर दी.
बालाजी धाम मंदिर कमेटी के प्रेसिडेंट हरश्याम दास गोयल ने बताया कि ‘अली साहब ने अपनी ज़मीन मंदिर ट्रस्ट के नाम कर दी है.’