हमारा देश हमेशा से कला-प्रेमी देश रहा है. साहित्य, गायन, चित्रकारी और नक्काशी जैसी कलाओं में हमने दुनिया को काफ़ी कुछ दिया है. अब बदलते दौर में ये क्षेत्र भी नफ़रत की आग से नहीं बच पाया. लोग कलाकारों में भी हिन्दू-मुसलमान और न जाने क्या-क्या खोजने लगते हैं. सवाल ये है कि क्या कोई हिन्दू ऐसे गीत नहीं गा सकता, जिसमें अल्लाह और काबा का ज़िक्र हो या क्या कोई मुसलमान ऐसे भजन नहीं गा सकता, जिसमें हिन्दुओं के आराध्य देवों का गुणगान हो. 22 साल की सुहाना सायेद, जो शिमोगा जिले की रहने वाली हैं, एक कन्नड़ रियलिटी शो में भाग ले रही थीं. समाज के नज़र में उनकी गलती ये थी कि उन्होंने इस दौरान एक हिन्दू भक्ति भजन गा दिया. हालांकि, उन्होंने भजन इतनी श्रद्धा से गाया था कि जज और ऑडियंस झूम उठे. लेकिन तुरंत ही सोशल मीडिया पर धर्म के दलालों ने उन पर हमला बोल दिया.

Mangalore Muslims नाम के एक फेसबुक पेज पर उनके बारे में लिखा गया कि :

‘सुहाना तुमने पुरुषों के सामने गाकर पूरे मुस्लिम समुदाय को कलंकित किया है. तुम ऐसा बिलकुल मत सोचना कि तुमने ज़िंदगी में बहुत सफ़लता हासिल कर ली है, क्योंकि 6 महीने तक क़ुरान पढ़ने वाला आदमी इससे कहीं ज़्यादा सफ़ल होता है. तुम्हारे मां-बाप ने तुम्हें अपनी ख़ूबसूरती दूसरों के सामने दिखाने के लिए प्रोत्साहित किया था, इस लिए वो लोग भी ज़न्नत नहीं पाएंगे. जो पर्दा तुम पहनती हो, उसे छोड़ दो, क्योंकि तुम इसकी इज्ज़त तो करती हो नही.’

जजों को सुहाना की परफॉरमेंस बहुत रास आई और उन्होंने उसकी प्रशंसा में ये भी कह दिया कि तुम हिन्दू-मुस्लिम एकता की प्रतीक हो. कन्नड़ म्यूजिक डायरेक्टर अर्जुन जन्य ने कहा कि तुम्हारी आवाज़ बहुत प्यारी है और तुमने बहुत बेहतरीन गाया है.

लोगों की आंखों से जब तक धर्म का पर्दा नहीं हटेगा, तब तक उन्हें समाज की खूबसूरती और अच्छाई दिखाई नहीं देने वाली. आखिर कब तक धर्म के नाम पर समाज में नफ़रत का धंधा करने वाले लोग खाते रहेंगे? वाकई ये बहुत गंभीर समस्या है.