इन दिनों एक ओर जहां सोशल मीडिया पर हिंदू-मुस्लिम को लेकर कई आपत्तिजनक टिप्पणियां पढ़ने को मिल रही हैं. वहीं दूसरी ओर कुछ मुस्लिम युवकों ने हिंदू महिला का अंतिम संस्कार करके गंगा-जमुनी तहज़ीब की मिसाल पेश की है.   

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ये किस्सा इंदौर का है. राज्य कांग्रेस के प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने पीटीआई से बातचीत के दौरान बताया कि मुस्लिम युवकों द्वारा महिला के अंतिम संस्कार की व्यवस्था की गई. वो उसके शव को ढाई किलोमीटर तक कंधे पर श्मशान तक ले गये. लॉकडाउन की वजह से सड़क पर कोई वाहन मौजूद नहीं था. इसलिये उन्हें शव को पैदल ही श्मशान तक पहुंचाना पड़ा. 

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मृत महिला के दो बेटे हैं, जो मुस्लिम युवकों की मदद से अपनी मां का अंतिम संस्कार पाये. हांलाकि, बुरी चीज़ है कि कोरोना के डर से महिला के रिश्तेदार उसके दहसंस्कार में शामिल नहीं हुए. 65 वर्षीय महिला ने लंबी बीमारी के चलते सोमवार को दम तोड़ दिया था. घटना की जानकारी मिलते ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी मुस्लिम युवकों के इस कदम की सरहाना की है. 

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कमलनाथ ने कहा कि जिस तरह मुस्लिम समुदाय के लोगों ने महिला के दो बेटों के साथ उसके शव को कंधों पर रखा. इससे समाज में एक मिसाल कायम हुई है. वहीं मुस्लिम युवकों का कहना है कि ये उनका कर्तव्य था, वो महिला को बचपन से जानते थे. 

सच में ऐसी ही कहानियां हिंदुस्तान को हिंदुस्तान बनाती हैं. 

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