बीती दिवाली को सोशल मीडिया पर कई अप्रिय वीडियोज़ दिखे. कुछ दोस्तों ने भी बताया कि पश्चिम बंगाल में कई जगह मुस्लिम काली पूजा होने नहीं दे रहे. दिवाली पर पश्चिम बंगाल में काली पूजा होती है.


एक ख़बर ऐसी भी आई जो देश में हो रही कई असामाजिक गतिविधियों को मुंहतोड़ जवाब दे रही है.  

पश्चिम बंगाल के बीरभूम में काली पूजा पर नसीरुद्दीन मंडल ने काली मंदिर का उद्घाटन किया.


Hindustan Times की रिपोर्ट के मुताबिक़, स्थानीय मस्जिद के मौलवी नसिरुद्दीन ने कहा 
‘मैंने मस्जिदों, मदरसों का उद्घाटन किया है. पर पहली बार किसी हिन्दु मंदिर का उद्घाटन किया. ये भावना बहुत अलग है.’  

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बीरभूम ज़िले के नानूर क्षेत्र के बासापारा के मुस्लिमों ने काली मंदिर के लिए पैसे इकट्ठा किये, मंदिर बनवाया और इमाम ने उसका उद्घाटन किया. दो साल पहले गांव में सड़के के चौड़ीकरण के लिए मंदिर को तोड़ दिया गया था. मंदिर के लिए ज़मीन भी मुस्लिमों ने ही ख़रीदी.


2011 के सेंसस के मुताबिक़, नानूर की 35% जनसंख्या मुस्लिम है. मंदिर टूटने के बाद निवासियों ने 10 लाख इकट्ठा करके मंदिर बनवाने की सोची, जिसमें से 7 लाख का दान मुस्लिमों ने दिया.  

मंदिर पूजा कमेटी के प्रेसिडेंट सुनील साहा ने बताया,

‘हमने स्थानीय निवासियों से मंदिर के पुनर्निर्माण की बात कही. उन्होंने फ़ंड्स जमा किए जिसमें से 7 लाख का दान मुस्लिमों की तरफ़ से मिला.’  

एक स्थानीय निवासी ने बताया कि गांव को सड़क की सख़्त ज़रूरत थी और मंदिर लगभग 30 साल पुराना था.


Mirror Now News की रिपोर्ट के अनुसार कि पहली बार किसी इमाम ने मंदिर का उद्घाटन किया पर किसी काम के लिए सभी समुदायों की सहायता पहले भी मिली है.  

बीते कुछ सालों में पश्चिम बंगाल से धार्मिक हिंसा की कई घटनाएं सामने आई हैं. इस तरह की ख़बरें इंसानियत के क़ायम रहने की उम्मीद जगाती हैं. 

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