नैनीताल हाईकोर्ट ने साल 2012 में दाख़िल एक जनहित याचिका पर फ़ैसला सुनाते हुए नैनीताल शहर में भारी वाहनों के आने जाने पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने साथ ही राज्य सरकार को इस मामले में 6 महीने के अंदर मास्टर प्लान तैयार करने के निर्देश भी दिए हैं.
कोर्ट ने तत्काल प्रभाव से नैनीताल शहर में भारी वाहनों के आने जाने पर पूरी तरह से रोक लगाने के निर्देश दिए हैं. साथ ही शहर में किसी भी प्रकार के नए होटल के खुलने पर भी रोक लगा दी है. हालांकि, सरकार झील के किनारे छोटे होटल और होम स्टे के ज़रिये पर्यटकों को लुभाने का प्रयास कर सकती है.
कोर्ट ने पर्यावरण एक्टिविस्ट अजय सिंह रावत द्वारा साल 2012 में दायर एक जनहित याचिका के बाद ये निर्देश जारी किए हैं. इस दौरान कोर्ट ने राज्य सरकारों को इस मामले में अब तक कोई ठोस क़दम नहीं उठाये जाने पर कड़ी फटकार भी लगाई.
साल 2012 में अजय सिंह रावत द्वारा दाख़िल इस जनहित याचिका में उनका कहना था कि सरोवर नगरी में पिछले कुछ समय से लगातार अवैध निर्माण हो रहे हैं जिसकी वजह से शहर का वातावरण ख़राब हो रहा है. इससे प्राचीन शहर नैनीताल की वास्तविक ख़त्म होती जा रही है. शहर में प्रदूषण की वजह से कई तरह की बीमारियां भी फ़ैल रही हैं.
दरअसल, ये आदेश 27 अगस्त को न्यायमूर्ति लोक पाल सिंह और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया द्वारा जारी किया गया था, लेकिन इसकी प्रति गुरुवार को उपलब्ध कराई गई. कोर्ट ने साथ ही अधिक मात्रा में आने वाले बाहरी वाहनों के प्रवेश पर भी रोक लगायी है.
दरअसल, पिछले कुछ सालों से भारी संख्या में पर्यटकों के आने से नैनीताल शहर की आबो हवा बेहद ख़राब हो गयी है. पर्यटकों को पार्किंग की जगह न मिलने से इसी साल जून महीने में नैनीताल में बाहरी वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी थी. जिस कारण पर्यटकों को नैनीताल जैसे कम आबादी वाले शहर में भी ट्रैफ़िक से दो चार होना पड़ा था.