तीन तलाक देने का एक और वाक्या सामने आया है. अब इस आतंक का शिकार एक राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी बनी हैं. शुमाएला जावेद, नेटबॉल की राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी रह चुकी हैं. उत्तर प्रदेश के अमरोहा की रहनी वाली शुमाएला ने अपने पति पर तीन तलाक देने के आरोप लगाए हैं. तीन तलाक देने का कारण जानकर चौंकना लाज़मी है. शुमाएला ने बेटी पैदा की और गुस्से में उनके पति ने उन्हें तलाक दे दिया. उनके पति ने फ़ोन पर ही शादी के बंधन तोड़ दिया. शुमाएला के पति ने उन्हें पहले Facebook पर मैसेज में तलाक दिया और फिर फ़ोन कर के.

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शुमाएला ने 9 फरवरी, 2014 को आज़म अब्बासी से निकाह किया था. निकाह के बाद से उनके पति का रवैया बहुत ही गुस्सैल था. मार-पीट और गाली-गलौच भी आम बात हो गई.

शुमाएला ने एएनआई को दिए बयान में कहा,

‘मेरा निकाह 9 फरवरी को आज़म से हुआ. पर निकाह के बाद से ही मेरे ससुरालवाले मुझे दहेज के लिए प्रताड़ित करते थे. मेरे पिताजी से वो लोग दहेज मांगते थे.’

दहेज के कारण प्रताड़ित की जाने वाली कई महिलाओं में एक राष्ट्रीय स्तर की खिला़ड़ी भी हो सकती है, इस पर यकीन करना मुश्किल है. शुमाएला के पिता ने उनके ससुरालवालों को दहेज के नाम पर पैसे दिए. शुमाएला ने बताया, ‘मेरे पिताजी ने जून, 2014 को 2 लाख रुपए दिए थे. कुछ दिनों तक तो सब ठीक था. पर कुछ दिनों बाद फिर से वो लोग अत्याचार और शोषण करने लगे. मेरी ननद ने मुझे जलाने की भी कोशिश की थी. सितंबर में मेरे पिता ने उनके अकाउंट में1 लाख रुपए डाले.’

अपनी आप-बीती सुनाते हुए शुमाएला ने आगे बताया, ‘जब उन्हें पता चला कि मैं गर्भवती हूं, तो वो लोग मुझ पर बेटा पैदा करने के लिए दबाव डालने लगे. मेरा Ultrasound करवाया गया और जब उन्हें पता चला कि मैं बेटी पैदा करने वाली हूं, तो मुझे घर से बाहर निकाल दिया गया. उस वक़्त में 8 महीने की गर्भवती थी.’

शुमाएला ने बेटी को जन्म दिया और उनके ससुरालवालों ने उन्हें और बच्ची को अपनाने से इंकार कर दिया. जैसा कि आमतौर पर हमारे समाज में होता है, शुमाएला के पिता ने भी उन्हें ससुराल वालों के हवाले कर दिया. एक बच्चे की मां बन जाने के बावजूद शुमाएला के ससुरालवाले, उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करते रहे.

शुमाएला ने प्रशासन पर भी कोई सहायता न करने के गंभीर आरोप लगाए हैं. दहेज प्रता़ड़ना को लेकर आचार-संहिता में कड़े नियम हैं, पर शायद ज़रूरतमंदों के लिए वो नियम भी नहीं हैं.

अब शुमाएला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मु्ख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मदद की गुहार लगाई है. शुमाएला ने चिट्ठी लिखकर सहायता मांगी है. ‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री ने तीन तलाक की कठोर निंदा की थी.

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अनुसार शरीयत, तीन तलाक की इजाज़त देता है. इस कानून के अनुसार, कोई भी मुस्लिम तीन बार तलाक बोलकर अपनी बीवी को तलाक दे सकता है. इस नियम का दुरुपयोग आजकल ज़ोरों पर है. WhatsApp मैसेज से लेकर Speed Post द्वारा पति अपनी पत्नी को तलाक दे रहे हैं.

शरीयत कानून के अनुसार दो तरह से तलाक लिया जा सकता है-

तलाक-उल-सुन्नत- तलाक-उल-सुन्नत के तहत 3 महीने की अवधि होती है, जिसे ‘इद्दत’ कहा जाता है. कानूनी तौर पर अलग होने से पहले पति-पत्नी को 3 महीने तक साथ रहना होता है.

तलाक-ए-बिदत- तलाक-ए-बिदत में 3 महीने की अवधि नहीं होती. पति-पत्नी को तुरंत तलाक मिल जाता है.

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के तथाकथित बुद्धिजीवियों के अनुसार, देश के किसी भी मुसलमान को शरीयत कानून से कोई आपत्ति नहीं है. गौरतलब है कि, कुछ दिनों पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीन तलाक को अनैतिक बताया था.

तीन तलाक की मारी कई मुसलमान पत्नियां आजतक ये लड़ाई रह रही हैं, तो कुछ अंधेरे में ही ज़िन्दगी गुज़ार रही हैं. तीन तलाक देने के कुछ खौफनाक किस्से-

  • 22 साल की आफ़रीन की दुनिया उस वक़्त बिखर गई, जब उसके पति ने Facebook Post पर उसे तलाक दे दिया. उसके बाद आफ़रीन को फ़ोन पर मैसेज भी भेजा गया था. इस्लामी कानून के अनुसार, तलाक का ये ज़रिया जायज़ था.
  • लंदन में बैठे-बैठे पति मोहम्मद अब्दुल अक़ील ने हैदराबाद में रह रही अपनी पत्नी को, Whats App मैसेज के ज़रिए तलाक दे दिया था.
  • हैदराबाद के ही एक और महान पति ने अपनी पत्नी को Skype पर ही तलाक दे दिया.
  • इन सब के अलावा अखबार में विज्ञापन छपवाकर, पोस्ट-कार्ड और Speed Post से भी तलाक देने के कई वाक़्ये सामने आए हैं.
  • ठीक इसी तरह तलाक की वजह भी बहुत बचकानी होती है. चेहरे पर नक़ाब न होने से लेकर, बीड़ी न देने से लेकर, शराब के पैसे न देने तक तलाक की वजह बन चुके हैं. क़ुरान में तलाक की बात कही गई है, तो ये भी कहा गया है कि तलाक नापाक़ है.
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मुस्लिम लॉ बोर्ड शरियत की रक्षा करने में ये भूल जाते हैं कि औरतें भी उसी ऊपरवाले की औलादें हैं. हम उम्मीद करते हैं कि तलाक के नाम पर औरतों के साथ होने वाली नाइंसाफी बंद होगी. 

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