देश की 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ़ 8 तारीख़ को राष्ट्रव्यापी हड़ताल करने की घोषणा की है. उनके मुताबिक, इस हड़ताल में 25 करोड़ लोगों के शामिल होने की संभावना है.
ट्रेड यूनियन INTUC, AITUC, HMS, CITU, AIUTUC, TUCC, SEWA, AICCTU, LPF, UTUC और कुछ अन्य स्वतंत्र महासंघ इस हड़ताल में हिस्सा लेंगे. उन्होंने कल एक संयुक्त प्रेस रिलीज़ जारी करते हुए कहा- ‘हमें उम्मीद है कि 8 जनवरी 2020 को होने वाली इस हड़ताल में लगभग 25 करोड़ लोग हिस्सा लेंगे. इस हड़ताल से हम सरकार की जन विरोधी, मज़दूर विरोधी और राष्ट्र विरोधी नीतियों को वापस लेने का आह्वान करेंगे.’
उनका कहना है कि 2 जनवरी को हुई श्रम मंत्रालय के साथ मीटिंग में सरकार श्रमिकों से जुड़े मुद्दों पर कोई भी आश्वासन देने में विफ़ल रही थी. सरकार का रवैया श्रमिकों के प्रति कुछ ठीक नहीं है. इसे वो अपनी अवमानना समझते हैं.
उन्होंने बताया कि क़रीब 60 छात्र संगठन भी बढ़ी हुई फ़ीस और शिक्षा के व्यवसायीकरण के ख़िलाफ आवाज़ उठाते हुए इस हड़ताल में शामिल होंगे. सभी ट्रेड यूनियनों ने जेएनयू में हाल ही में हुई हिंसा के साथ ही दूसरी यूनिवर्सिटीज़ में हुई ऐसी ही दूसरी घटनाओं की निंदा की है.
उन्होंने केंद्र सरकार के हालिया बैंकिंग सुधारों और श्रम नीतियों के ख़िलाफ विरोध प्रकट किया है. इस हड़ताल के माध्यम से वो सरकार से वेतन वृद्धि और अन्य लाभों की भी मांग कर रही हैं. ट्रेड यूनियन पिछले 5 साल में एक भी Indian Labour Conference नहीं आयोजित करने पर भी रोष प्रकट किया है.
उनका कहना है कि सरकार लगातार श्रमिकों और उनके हक़ को अनदेखा कर रही है. इसलिए किसान भी श्रमिकों के अधिकारों के समर्थन में इस हड़ताल में शामिल होंगे. 8 जनवरी को देश के ग्रामीण इलाकों में ग्रामीण भारत बंद के रूप में हड़ताल करेंगे.
हड़ताल में बैंक के कर्मचारी भी शामिल होंगे. इसलिए बैंकिंग सेवाओं पर भी इसका असर देखने को मिलेगा.