नेपाल और चीन के बीच में है दुनिया का सबसे बड़ा पर्वत माउंट एवरेस्ट. इस पर्वत पर फतेह हासिल करने की हसरत से हर साल कई पर्वतारोही इसके पैरों में आ गिरते हैं, लेकिन इस पर चढ़ाई करना कोई बच्चों का खेल नहीं. अच्छे-अच्छे खिलाड़ी इसके सामने धूल फांकर चलते बने हैं. मगर फिर भी ये पर्वत चोटी हर पर्वतारोही को अपनी ओर आकर्षित करती है और इन्हें इनकी मंजिल तक पुहंचाने का जो कठिन कार्य करते हैं उन्हें नेपाली भाषा में शेरपा कहा जाता है. इनके बिना इस दुर्गम पहाड़ पर अपने देश का परचम लहराना किसी के बस की बात नहीं.
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ऐसे ही एक शेरपा हैं, कामी रीता. 48 साल के रीता का पिछले दो दशकों से इस पर्वत पर आना-जाना रहा है. और बहुत जल्द ये इस पर्वत पर 22वीं बार फतह हासिल करने के लिये कमर कसने जा रहे हैं. अगर वो ऐसा करने में सफल होते हैं, तो ऐसा करने वाले वो दुनिया के एकमात्र शख्स होंगे.
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माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करते समय हर वक़्त किसी न किसी अंजान ख़तरे का समना करना पड़ता है. बर्फीली हवा का तूफ़ान, ऑक्सिजन की कमी आदि से लड़ते हुए आपको आगे बढ़ना होता है. इन सारी अड़चनों को पार करने के लिये आपको एक अनुभवी गाइड की ज़रूरत होती है. यही कार्य एक शेरपा करता है.
शेरपा न सिर्फ़ अपने दल को राह दिखाता है, बल्कि उनका सारा सामान ढोना, रस्सी को मज़बूती से चंटानों पर बांधने जैसे कार्य भी करता है. कामी रीता ने पहली बार 1994 में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की थी. इनका आखिरी मिशन पिछले साल मई में ख़त्म हुआ.
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कामी इस रिकॉर्ड के बारे में बात करते हुए कहते हैं कि ‘मैं ये कोई रिकॉर्ड बनाने के लिये नहीं कर रहा. ये तो मेरा काम है. ऐसा कर के मैं अपने देश और समुदाय का नाम दुनिया भर में रौशन कर सकूंगा. इस रिकॉर्ड को बनाने के बाद भी में ये करता रहूंगा.’
नेपाल में दुनिया के 8 सबसे ऊंचे पहाड़ मौजूद हैं. माउंटेन कलाइमबिंग के ज़रिये नेपाल की सरकार ने पिछले साल 4 मिलियन डॉलर कमाए थे. पिछले साल 7 लोगों की मौत एवरेस्ट पर चढ़ते हुए हुई थी, लेकिन मौत का डर भी लोगों को यहां आने से नहीं रोक पाता है. 2017 में 634 लोग माउंट एवरेस्ट की चोटी तक पहुंचने में कामयाब रहे.
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इस साल भी पर्वतारोहियों का जमावड़ा इसके तल में लगना शुरू हो गया है. अगली चढ़ाई मई में शुरू होगी. उम्मीद है कि है कि कामी रीता ये रिकॉर्ड कायम करने में कामयाब होंगे और इसके साथ ही शेरपा समुदाय का नाम रौशन करेंगे.