मेस के गंदे खाने से बचाए, वो ‘मैगी’
पहाड़ों पर जहां कुछ न मिले, वहां भूख मिटाए, वो ‘मैगी’
जो आसानी से पक जाए, वो ‘मैगी’
उस क़रीबी दोस्त, मैगी में जब लेड और MSG मिले होने की ख़बरें आने लगी थी तो दिल को बहुत ठेस पहुंची थी. मैगी से यिप्पी तक का सफ़र आसान नहीं था, लेकिन पेट की आग ने ये सफ़र तय करने पर मजबूर किया था.
लेड मिले होने की ख़बरें तेज़ होने की वजह से 2017 में हज़ारों किलो मैगी को नष्ट किया गया था.
मन में एक उम्मीद थी कि नेस्ले वाले हमारे साथ ऐसा नहीं कर सकते. हो सकता है कि भारत में मैगी बनाने वाली फ़ैक्ट्रीयों ने मैगी में लेड मिलाया हो.
बृहस्पतिवार को ये उम्मीद भी चकनाचूर हो गई. सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई में नेस्ले ने ये स्वीकार कर लिया है कि वो मैगी में लेड मिलाते थे.
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ने नेस्ले काउंसिल से पूछा कि वो लेड मिले हुए मैगी नूडल्स क्यों खाएं. ये साबित हो चुका था कि मैगी में तय सीमाओं से काफ़ी ज़्यादा लेड मिलाया जा रहा था.
इसी के जवाब में नेस्ले इंडिया ने मैगी में लेड की अधिक मात्रा होने की बात स्वीकारी.
और इस ख़बर को लिखते हुए हम रुआंसे हो गए, ये सोचकर की मैगी अगर बैन हो गई तो क्या खाएंंगे हम?