हमारे देश में विकास का हर्षनाद किया जा रहा है. लेकिन रोज़मर्रा की कुछ घटनाएं विकास के वादों को खोखला साबित करती हैं.

बेटों की चाहत में बेटियों को मारने का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. मध्य प्रदेश मे एक नवजात बच्ची को उसके माता-पिता ने पैदा होते ही कचड़े के ढेर पर फेंक दिया.

बच्ची को प्लास्टिक बैग में बंद करके कचड़े में फेंक दिया गया था. बच्चियों को चिंटियां काट रही थीं. कचड़े के ढेर के पास से गुज़रते धीरज राठौड़ ने रोने की आवाज़ सुनी और देखा कि कचड़े में एक बच्ची पड़ी है.

धीरज राठौड़, एक चाय की दुकान चलाते हैं, उन्होंने बताया,

मुझे यकीन ही नहीं हो रही था कि एक बच्ची को इस तरह से किसी ने फेंक दिया है. उसके पूरे शरीर पर चींटियां चल रही थी.

धीरज ने अपने दो दोस्तों को मदद के लिए बुलाया और फिर उसके शरीर से कीड़े और चींटियां निकालकर उसे पास के अस्पताल में ले गए.

अस्पताल कर्मचारियों का कहना है कि बच्ची की हालत गंभीर है और उसका वज़न आम नवजातों से काफ़ी कम है. जब उसे अस्पताल लाया गया, तब उसके शरीर पर चोट के भी निशान थे, जिससे ये अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि उसके साथ मार-पीट की गई है.

पुलिस ने शिकायत दर्ज कर ली है और बच्ची के माता-पिता की तलाश जारी है.

गौरतलब है कि अपने देश में लड़कों की संख्या लड़कियों से ज़्यादा है. किसी-किसी क्षेत्र में तो 1000 लड़कों पर 800 से भी कम लड़कियां हैं. कहीं-कहीं लड़कियों की संख्या इतनी कम है कि लोगों को शादी के लिए अपनी जाति में लड़कियां नहीं मिलती.

समझ में नहीं आता कि कैसे माता-पिता होंगे वो, जिन्हें अपनी ही संतान का रोना विचलित नहीं करता. क्या बेटा पैदा करना इतना ज़रूरी है?

Source- Daily Mail