बीते बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश की नई ‘शिक्षा नीति’ को मंज़ूरी दे दी है. 34 साल बाद देश की शिक्षा नीति में नये बदलाव किए गए हैं. इस नीति के तहत ही ‘मानव संसाधन विकास मंत्रालय’ का नाम बदलकर ‘शिक्षा मंत्रालय’ कर दिया गया है.
सरकार ने तय किया है कि अब देश की जीडीपी का कुल 6 फ़ीसदी शिक्षा पर खर्च किया जाएगा. फिलहाल देश की जीडीपी का मात्र 4.43% हिस्सा ही शिक्षा पर ख़र्च होता है. देश की इस नई शिक्षा नीति में प्री प्राइमरी क्लासेस से लेकर बोर्ड परीक्षाओं, स्कूल के बस्ते, रिपोर्ट कार्ड, यूजी एडमिशन के तरीक़े और एमफिल तक सब कुछ बदल गया है.
आइए जानते हैं 34 साल बाद आई नई शिक्षा नीति में क्या-क्या बदला है, इससे आपके बच्चे की पढ़ाई पर क्या फ़र्क़ पड़ेगा-
1- फ़ाउंडेशन स्टेज के तहत पहले 3 साल बच्चे आंगनबाड़ी में प्री-स्कूलिंग शिक्षा लेंगे. फिर अगले 2 साल कक्षा 1 एवं 2 में बच्चे स्कूल में पढ़ेंगे. इन 5 सालों की पढ़ाई के लिए एक नया पाठ्यक्रम तैयार होगा. इसमें 3 से 8 साल तक की आयु के बच्चे कवर होंगे. इस प्रकार पढ़ाई के पहले 5 साल का चरण पूरा होगा.
2- प्रीप्रेटरी स्टेज के तहत कक्षा 3 से 5वीं तक की पढ़ाई होगी. इस दौरान प्रैक्टिकल के ज़रिए बच्चों को साइंस, मैथ्स, आर्ट आदि विषय पढ़ाए जायेंगे. इसके अंतर्गत 8 से 11 साल तक की उम्र के बच्चों को इसमें कवर किया जाएगा.
3- मिडिल स्टेज के तहत कक्षा 6 से लेकर 8वीं तक की पढ़ाई होगी. इसके अंतर्गत 11 से लेकर 14 साल की उम्र के बच्चों को कवर किया जाएगा. इन कक्षाओं में विषय आधारित पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा. कक्षा 6 से ही बच्चों को स्किल डेवलपमेंट कोर्स भी पढ़ाए जाएंगे.
4- सेकेंडरी स्टेज के तहत कक्षा 9 से 12वीं तक की पढ़ाई दो चरणों में होगी, जिसमें विषयों का गहन अध्ययन कराया जाएगा. इस दौरान छात्रों को विषय चुनने की आज़ादी भी होगी.
5- नई शिक्षा नीति के तहत अब 6वीं कक्षा से ही बच्चों को प्रोफ़ेशनल एज्युकेशन और स्किल डेवलपमेंट की शिक्षा दी जाएगी. स्थानीय स्तर पर इंटर्नशिप भी कराई जाएगी. नई शिक्षा नीति बेरोज़गार तैयार नहीं करेगी, बल्कि स्कूल में ही बच्चों को बेरोज़गार संबंधी ज़रूरी प्रोफ़ेशनल शिक्षा दी जाएगी.
6- इस नीति की सबसे बड़ी विशेषता ये है कि स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा के साथ कृषि शिक्षा, कानूनी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा और तकनीकी शिक्षा जैसी व्यावसायिक शिक्षा को इसके दायरे में लाया गया है. इसका मुख्य उद्देश्य है कि छात्रों को पढ़ाई के साथ साथ किसी लाइफ़ स्किल से सीधा जोड़ना.
7- बीमारी या शादी होने की वजह से पढ़ाई बीच में छूट जापर अब मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम के तहत आप फिर से कॉलेज में दाख़िला ले सकते हैं. अगर आपने 1 साल पढ़ाई की है तो सर्टिफ़िकेट, 2 साल की है तो डिप्लोमा, 3 या 4 साल के बाद डिग्री दी जाएगी.
8- सरकार अब ‘न्यू नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क’ तैयार करेगी. इसमें ईसीई, स्कूल, टीचर्स और एडल्ट एजुकेशन को जोड़ा जाएगा. बोर्ड एग्जाम को भागों में बांटा जाएगा. अब दो बोर्ड परीक्षाओं के तनाव को कम करने के लिए बोर्ड 3 बार भी परीक्षा करा सकता है.
9- नई शिक्षा नीति के तहत अब बच्चों के रिपोर्ट कार्ड में लाइफ़ स्किल्स को जोड़ा जाएगा. अगर स्कूल में कुछ रोजगारपरक स्किल्स सीखा है तो इसे रिपोर्ट कार्ड में जगह मिलेगी. जिससे बच्चों में लाइफ़ स्किल्स का भी विकास हो सकेगा. अभी तक रिपोर्ट कार्ड में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था.
10- रिसर्च में जाने वाले छात्रों के लिए भी नई व्यवस्था की गई है. ऐसे छात्रों को अब 4 साल के डिग्री प्रोग्राम का विकल्प दिया जाएगा. 3 साल डिग्री के साथ 1 साल ‘एम’ करके ‘एमफ़िल’ की ज़रूरत नहीं होगी. इसके बाद सीधे पीएचडी में जा सकते हैं. इसका मतलब ये हुआ कि सरकार ने नई शिक्षा नीति में अब एमफ़िल को पूरी तरह ख़त्म करने की बात कही है.
11- मल्टीपल डिसिप्लनरी एजुकेशन में अब आप किसी एक स्ट्रीम के अलावा दूसरा सब्जेक्ट भी ले सकते हैं. यानी अगर आप इंजीनियरिंग कर रहे हैं और आपको म्यूज़िक का भी शौक है तो आप उस विषय को भी साथ में पढ़ सकते हैं. अब स्ट्रीम के अनुसार सब्जेक्ट लेने पर ज़ोर नहीं होगा.
12- राष्ट्रीय शिक्षा नीति में राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी द्वारा उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश के लिए कॉमन एंट्रेंस एग्जाम का ऑफ़र दिया जाएगा. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) को अब देश भर के विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित करने के लिए एडिशनल चार्ज दिया जाएगा. जिसमें वो हायर एजुकेशन के लिए आम यानी कॉमन एंट्रेंस परीक्षा का आयोजन कर सकता है.
13- नई शिक्षा नीति के तहत आयोग ने शिक्षकों के प्रशिक्षण पर भी ख़ास ज़ोर दिया है. व्यापक सुधार के लिए शिक्षक प्रशिक्षण और सभी शिक्षा कार्यक्रमों को विश्वविद्यालयों या कॉलेजों के स्तर पर शामिल करने की सिफ़ारिश की गई है
बता दें कि सरकार ने साल 2030 तक हर बच्चे के लिए शिक्षा सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए एनरोलमेंट को 100 फ़ीसदी तक लाने का लक्ष्य रखा गया है. इसके अलावा स्कूली शिक्षा के निकलने के बाद हर बच्चे के पास लाइफ़ स्किल भी होगी. जिससे वो जिस क्षेत्र में काम शुरू करना चाहे, आसानी से कर सकता है.