नेशनल फ़ैमिली हेल्थ सर्वे-5 (एनएफ़एचएस-5) ने देश के 22 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में हिंसा पर सर्वे किया. इस सर्वे में जो ख़ुलासे हुए वो काफ़ी चौंकाने वाले हैं.
Times of India की रिपोर्ट के अनुसार, 5 राज्यों के 30 प्रतिशत महिलाओं के साथ उनके पार्टनर्स ने शारीरिक और सेक्शुअल हिंसा की. ये पांच राज्य हैं- कर्नाटक, असम, मिज़ोरम, तेलंगाना और बिहार. नेशनल फ़ैमिली हेल्थ सर्वे ने अपने एक्टिविस्ट्स और ग़ैर सरकारी संस्थाओं के साथ सर्वे किया.
ये सर्वे 6.1 लाख घरों में किया गया था. इस सर्वे में जनसंख्या, स्वास्थ्य, फ़ैमिली प्लानिंग और न्यूट्रिशन जैसे इंडिकेटर्स से जुड़ी जानकारी के लिए घर पर जाकर इंटरव्यू लिए गए.
कर्नाटक में 18 से 49 की उम्र की 44.4 प्रतिशत महिलाओं को अपने पार्टनर के हाथों हिंसा का शिकार होना पड़ा. एनएफ़एचएस-4 (2015-16) के मुताबिक़ राज्य में 20.6 प्रतिशत महिलाओं को हिंसा का सामना करना पड़ा था.
कर्नाटक में 18 से 49 की उम्र की 44.4 प्रतिशत महिलाओं को अपने पार्टनर के हाथों हिंसा का शिकार होना पड़ा. एनएफ़एचएस-4 (2015-16) के मुताबिक़ राज्य में 20.6 प्रतिशत महिलाओं को हिंसा का सामना करना पड़ा था.
सर्वे का हिस्सा रहे 22 राज्य और 7 केन्द्र शासित प्रदेशों में से 7 में महिलाओं के साथ हो रही घरेलू हिंसा में बढ़त दर्ज की गई. एनएफ़एचएस-5 में एनएफ़एचएस-4 के मुक़ाबले घरेलू हिंसा में वृद्धि दर्ज की गई. ये 7 राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश हैं- असम, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, सिक्किम, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख
डेटा के मुताबिक़, 9 राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों की, 18-29 वर्ग की महिलाओं के साथ सेक्शुअल हिंसा में भी पहले के मुक़ाबले इस बार वृद्धि दर्ज की गई. ये राज्य और केन्द्र शासित हैं- असम, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गोवा, मेघालय, सिक्किम, पश्चिम बंगाल, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख.
पब्लिक हेल्त एक्सपर्ट और पॉपुलेशन फ़ाउंडेशन ऑफ़ इंडिया की एक्ज़ेकेटिव डायरेक्टर, पूनम मुत्तरेजा के अनुसार कोविड-19 पैंडमिक के महिलाओं के साथ हो रही हिंसा में वृद्धि दर भारत में बढ़ रही हिंसा की संस्कृति का सूचक है. मुत्तरेजा ने ये भी कहा कि कोरोनावायरस की वजह से घरेलू हिंसा के केस बढ़े हैं.
केन्द्र सरकार को बढ़ती घरेलू हिंसा पर रोक लगाने के लिए कड़े से कड़े क़दम उठाने होंगे.