वो दिन कब आएगा जब घर हो या स्कूल लड़कियां हर जगह आज़ादी से घूम सकेंगी. बातें कितनी भी चांद पर पहुंचने की कर लो, कितना भी लड़की और लड़के को बराबरी का दर्ज़ा दे दो. मगर जब बात हक़ीक़त की आती है तो उसका चेहरा बहुत घिनौना है. जो ये दिखाता है कि लड़कियां कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं. वो स्कूल हो, घर हो या फिर मंदिर ही क्यों न हो! ऐसा ही एक मामला बीते शनिवार को बिहार के सुपौल के कस्तूरबा आवासीय बालिका विद्यालय में हुआ.

इस घटना में कुछ मनचलों ने छात्राओं के साथ ग़लत व्यवहार करने से रोके जाने पर उनके साथ मारपीट की. जिनमें 34 छात्राएं घायल हो गई थीं. सभी घायल छात्राओं को इलाज के लिए अनुमंडलीय अस्पताल भेजा गया. इन 34 छात्राओं में से 20 को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई, और बाकि 10 का इलाज अभी चल रहा है.

आपको बता दें कि पूरे मामले की FIR दर्ज कर जांच में जुटी पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ़्तार कर लिया है. इनमें ज़्यादा नाबालिग हैं. इनकी उम्र का वेरीफ़िकेशन किया जा रहा है.

इस घटना में विपक्षी पार्टी आरजेडी के नेता और पूर्व सीएम तेजस्वी यादव ने पुलिस प्रशासन के साथ-साथ नीतिश कुमार की सरकार के लचीलेपन पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया कि ‘सरकार नरम है, अपराध चरम पर है.’
बिहार में सुपौल के त्रिवेणीगंज के कस्तूरबा गांधी गर्ल्स स्कूल में घुसकर असामाजिक तत्वों द्वारा हॉस्टल में रहने वाली 34 छात्राओं को बुरे तरीके से मारा-पीटा गया है। बेख़ौफ गुंडों की मार से घायल सभी छात्राओं को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
सरकार नरम है, अपराध चरम पर है।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) October 6, 2018
ग़ौरतलब है कि ये घटना बीते शनिवार शाम की है. जब छात्राएं विद्यालय परिसर में खेल रही थीं. उसी दौरान कुछ मनचले उन पर अभद्र टिप्पणी करने लगे और फ़ब्तियां कसने लगे. जिसकी शिक़ायत छात्राओं ने अध्यापक से की. इसके बाद अध्यापक और अन्य लोग मनचलों को समझाने गए, लेकिन वे उनसे ही उलझ गए. थोड़ी देर बाद आरोपी लड़के अपने अभिभावकों और अन्य लोगों के साथ वापस आए और शिक्षकों और छात्राओं से मारपीट शुरू कर दी.

मामले की FIR वॉर्डन रीमा राज के बयान पर दर्ज हुई थी, जिसमें 9 नामजद और लगभग एक दर्जन अज्ञात के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया था.
इस पूरी घटना को जानने के बाद ये कहना ग़लत नहीं होगा कि आजकल बच्चे ही नहीं, बल्क़ि कुछ मां-बाप भी ऐसे हैं, जो अपने बच्चों का ग़लत काम में साथ देते हैं. ऐसा ही रहा तो पता नहीं ये सब कब रुकेगा?