पिछले साल नवंबर में नोटबंदी ने सैंकड़ो लोगों की जान ले ली थी, साथ ही इस फ़ैसले के बाद से देश की अर्थव्यवस्था को भी काफी नुकसान पहुंचा था. 30 अगस्त को अपनी रिपोर्ट में खुद आरबीआई ने माना था कि नोटबंदी के बाद 99 प्रतिशत हिस्सा वापस आ चुका है.

अब एक आरटीआई के जवाब में रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने ये भी कहा है कि 500 और 1000 के नोटों की गिनती के लिए काउंटिग मशीन का इस्तेमाल नहीं किया गया था. बैंक ने इन नोटों की गिनती के लिए लगाए गए लोगों का ब्यौरा देने से भी मना किया है.

सूचना के अधिकार कानून (आरटीआई) के तहत मांगे गए जवाब से इस बात की जानकारी हुई. हालांकि देर शाम जारी एक स्पष्टीकरण में केंद्रीय बैंक ने कहा कि वह मुद्रा नोटों की असलियत व संख्यात्मक सटीकता की जांच के लिए सीवीपीएस मशीनों का इस्तेमाल कर रहा है.

इससे पहले आरबीआई ने एक आरटीआई के जवाब में कहा , “500 और 1000 रुपये के नोटों की गिनती के लिए बैंक के किसी भी कार्यालय में मशीन का इस्तेमाल नहीं किया गया है.” बैंक ने बताया कि इस काम के लिए पट्टे पर भी कोई मशीन नहीं ली गयी थी. 

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30 अगस्त को अपनी वार्षिक रिपोर्ट में आरबीआई ने कहा था कि 30 जून तक 15.28 लाख करोड़ यानि 500 और 1000 रुपये का 99 प्रतिशत हिस्सा बैंकिंग सिस्टम में वापस आ चुका है. अपनी वार्षिक रिपोर्ट में सेंट्रल बैंक का कहना था कि 15.44 लाख करोड़ में से केवल 16,050 करोड़ रुपये वापस नहीं आए हैं.

गौरतलब है कि 8 नवंबर 2016 को जब पीएम मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की थी, उस समय 500 के 1716 करोड़ नोट चलन में थे वहीं 1000 के 685.8 करोड़ नोट चलन में थे. कुल मिलाकर इनकी संख्या 15.44 लाख करोड़ थी. वहीं, आरबीआई ने इस बात की जानकारी देने से इनकार कर दिया कि नोटों को गिनने के लिए कितनी कर्मचारियों को लगाया गया था. आरटीआई के जवाब में बैंक ने कहा कि आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 7 (9) के अनुसार यह जानकारी नहीं दी जा सकती है.

जब एक आरटीआई में आरबीआई से पूछा गया कि Demonetised नोटों की गिनती की शुरुआत कब हुई थी, तो जवाब मिला था कि नोटों की गिनती एक सतत प्रक्रिया है. इसके अलावा आरबीआई से जब काउटिंग की आखिर तारीख पूछी गई तब कोई जवाब नहीं मिला.

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वहीं नोटबंदी पर रिपोर्ट जारी करने के बाद सरकार की तीखी आलोचना हुई थी. पूर्व फ़ाइनेंस मंत्री पी चिदंबरम का कहना था कि नोटबंदी एक तरह से एक ऐसी स्कीम साबित हुई जहां लोगों ने अपने ब्लैक मनी को व्हाइट कर लिया. नोटबंदी से आरबीआई को 16000 करोड़ का फ़ायदा हुआ लेकिन नोटों की छपाई के चलते 21000 करोड़ का नुकसान हुआ. नोटबंदी की वजह से देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई, लेकिन मौजूदा सरकार सिर्फ़ झूठ के सहारे अपना प्रोपेगेंडा चला रही है.  

Source: India Times