विकासशील देशों की लिस्ट में बेशक हम सबसे आगे हों, पर आज भी हमारी संकीर्ण मानसिकता और रूढ़िवादी सोच हमें पीछे की तरफ़ धकेल रही है. हमारी इसी संकीर्ण सोच की वजह से कई प्रेम कहानियां अपने मुकाम पर नहीं पहुंच पाती क्योंकि कभी धर्म, तो कभी जाति इनके सामने रोड़ा बन कर आ जाता है.

शुरुआत के दिनों में जब जुनैद और गरिमा मिले थे, तो इन बातों से अच्छी तरह वाकिफ़ थे, पर ये कमबख़्त प्यार भी किसी की सुनता कहां है? इस इश्क़ के मामले में जुनैद और गरिमा की कहानी दूसरों से काफ़ी अलग है, क्योंकि इनकी प्रेम कहानी में किसी भी तरह का कोई विरोध नहीं हुआ. दोनों के प्यार को घरवालों का साथ मिला और ये प्रेम कहानी अपने मुकाम यानी शादी तक पहुंची.

इस शादी की ख़ास बात ये रही कि इसमें न किसी तरह का निकाह हुआ और न ही किसी तरह फेरे. दरअसल, जुनैद और गरिमा अपनी शादी को दूसरी शादियों से अलग बनाना चाहते थे. उनके लिए शादी का मतलब दो संस्कृतियों का आपस में मिलना था, जिसे वो दिल खोल कर सेलिब्रेट करना चाहते थे.

उनकी ये प्रेम कहानी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर एक वीडियो के रूप में डाली गई है, जिसे 44,000 लोग देख चुके हैं.

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