बिहार… ये नाम सुनते ही ज़्यादातर देशवासियों को 3-4 चीज़ें ही दिमाग़ में आयेंगी . IAS, लिट्टी-चोखा, गोली बंदूक.
इन सबके अलावा बिहार में है एक ऐसा गांव जहां 5 दशक से कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं हुआ है. Times of India की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, बांका ज़िले के जमुआ गांव में गांववालों की एक कमिटी की वजह से कोई भी केस दर्ज नहीं होता है. ये कमिटी गांववालों की समस्याओं को सुनती है और उसका निदान करती है.
जमुआ में कुशवाहा और यादव समुदाय के 600 लोग रहते हैं. पिछले हफ़्ते गांव की कमिटी ने युगल प्रसाद सिंह और उनके बेटों के बीच के 3 साल पुराने मसले को सुलझाया. ये मामला इतना बिगड़ चुका था कि हाथापाई भी हो जाती थी.
इस स्टेज तक पहुंचने में बहुत मेहनत और संयम लगता है. पिछले 5 दशक में न कोई FIR दर्ज हुई है और न ही कोई मामला लोकल अदालत तक पहुंचा है.
-शैलेंद्र सिंह
कमिटी के दूसरे मेंमबर ने Times of India को बताया,
इसमें इकोनॉमिक्स की भी अहम भूमिका है. कमिटी लोगों से पुलिस या कोर्ट तक न जाने की अपील करती है क्योंकि इसमें बहुत ज़्यादा ख़र्च होता है. केस दर्ज होने के बाद एक थाने से दूसरे थाने जाने में बहुत वक़्त भी ज़ाया होता है. सभी गांववालों ने हमारा प्रस्ताव मान लिया.
-मिथिलेश सिंह
कमिटी के कामकाज में मदद करने वाले पंकज सिंह ने बताया कि जो मामले सर्कल ऑफ़िसर और बीडीओ नहीं सुलझा पाते थे उन्हें कमिटी सुलझा चुकी है. मनोज कुमार सिंह और दिनेश सिंह के बीच ज़मीन को लेकर विवाद चल रहा था जिसे कोई अफ़सर नहीं सुलझा पा रहा था. कमिटी ने उस मामले का भी हल निकाला.
बांका के एसपी अरविंद कुमार गुप्ता के शब्दों में,
गांव में कोई कम्युनिटी हॉल न होने की वजह से कमिटी की मीटिंग या तो प्राइमरी स्कूल में होती है या फिर चौराहे पर. इस गांव के लोग सब्ज़ियां उगाकर गुज़ारा करते हैं.