जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाला आर्टिकल 370 हमेशा से ही विवाद का विषय रहा है. लेकिन सोमवार को मोदी सरकार ने बड़ा फै़सला लेते हुए जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को ही खत्म कर दिया है. इसके साथ ही अब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश कहलाएंगे. पर क्या जम्मू-कश्मीर विशेष दर्जा पाने वाला एक मात्र राज्य है? तो इसका जवाब है नहीं. जम्मू-कश्मीर के अलावा अन्य 12 राज्य हैं, जिनको संविधान में विशेष श्रेणी का दर्जा प्राप्त है.

तो आइए जानते हैं इन राज्यों और उनको दिए गए विशेष अधिकारों के बारे में:

Article 371 : महाराष्ट्र और गुजरात

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ये आर्टिकल 1950 में संविधान को अपनाने के समय से अस्तित्व में है. इस प्रावधान के अंतर्गत महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों के राज्यपालों को विदर्भ, मराठवाडा, कच्छ आदि क्षेत्रों में विकास बोर्ड स्थापित करने के लिए विशेष अधिकार दिए गए हैं.

Article 371A : नागालैंड

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ये आर्टिकल नागालैंड को विशेष अधिकार देता है. नागा प्रथागत कानूनों के हिसाब से राज्य अपना प्रशासनिक और कानूनी प्रक्रियाएं चुनने के लिए स्वतंत्र है, साथ ही राज्य को धार्मिक और स्थानीय सामाजिक प्रथाओं को पालन करने का भी अधिकार है. इसके तहत लोग भूमि का स्वामित्व रख सकते हैं, साथ ही भूमि और दूसरे संसाधनों का स्थानांतरण स्थानीय प्रणालियों के अनुसार कर सकते हैं. 

ये प्रावधान राज्यपाल को कानून और व्यवस्था की स्थिति में मुख्यमंत्री के निर्णय को रद्द करने का भी विशेष अधिकार भी प्रदान करता है. जनवरी 2019 में नेफ्यू रियो ने इसी अधिकार का इस्तेमाल किया था, उन्होंने नागालैंड में नागरिकता अधिनियम 1955 में संशोधन करने के मोदी सरकार के निर्णय को, राज्य में ना लागू करने का फ़ैसला लिया.  

Article 371B : असम

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ये आर्टिकल असम को कुछ विशेष अधिकार देता है. राष्ट्रपति राज्य के आदिवासी इलाकों से चुनकर आए विधानसभा के प्रतिनिधियों की एक कमेटी बना सकते हैं. इस कमेटी का काम राज्य के विकास संबंधी कार्यों की विवेचना करके राष्ट्रपति को रिपोर्ट सौंपना है.  

Article 371C : मणिपुर

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ये प्रावधान मणिपुर को वो सारे विशेष अधिकार देता है जो आर्टिकल 371B असम को देता है. मणिपुर में राष्ट्रपति चाहे तो राज्य के राज्यपाल को विशेष जिम्मेदारी देकर चुने गए प्रतिनिधियों की कमेटी बनवा सकते हैं. ये कमेटी राज्य के विकास संबंधी कार्यों की निगरानी करेगी. राज्यपाल को हर साल राष्ट्रपति को रिपोर्ट सौंपनी होगी.

Article 371D And E : आंध्र प्रदेश

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इसके तहत राष्ट्रपति के पास अधिकार होता है कि वो राज्य सरकार को नौकरियों में आरक्षण से संबंधित आदेश दे सके. इसी के साथ शिक्षण संस्थानों में राज्य के लोगों को आरक्षण दिया जाता है. आर्टिकल 371E कहता है कि संसद आंध्र प्रदेश में विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए कानून प्रदान कर सकती है.

Article 371F : सिक्किम

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 इस आर्टिकल को 1975 में संविधान में शामिल किया गया था. इसके अनुसार सिक्किम राज्य विधानसभा में 30 से कम सदस्य नहीं हो सकते. ऐसा इसलिए किया गया ताकि राज्य के अलग-अलग वर्गों के प्रतिनिधि विधानसभा में शामिल हो सकें और सभी वर्गों व समुदायों के लोगों के हितों की रक्षा की जा सके.

Article 371G : मिज़ोरम

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सन 1986 में मिज़ोरम का राज्य के रूप में गठित होने के बाद ये आर्टिकल वहां के लोगों को कुछ विशेष अधिकार प्रदान करता है. नागालैंड की ही तरह, ये प्रावधान लोगों को उनके प्रथागत कानूनों, धार्मिक स्वतंत्रता एवं भूमि अधिकारों पर अधिकार प्रदान करता है. इस प्रावधान में किसी भी परिवर्तन को प्रभावित करने के लिए विधानसभा के प्रस्ताव की आवश्यकता होगी. 

Article 371H : अरुणाचल प्रदेश

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ये आर्टिकल अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल को राज्य की कानून व्यवस्था की स्थिति में विशेष अधिकार प्रदान करता है. यही नहीं, राज्यपाल को मुख्यमंत्री का निर्णय रद्द करने का पूर्ण अधिकार भी देता है.

Article 371I : गोवा

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ये आर्टिकल गोवा राज्य विधानसभा को भूमि की बिक्री, संपत्ति के स्वामित्व पर कानून बनाने की विशेष शक्तियां प्रदान करता है.

Article 371J : हैदराबाद और कर्नाटक

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ये आर्टिकल हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र के 6 पिछड़े ज़िलों को विशेष दर्जा देता है. इस प्रावधान के अंतर्गत इन क्षेत्रों लिए एक अलग विकास बोर्ड स्थापित किया जाए और शिक्षा और सरकारी नौकरियों में स्थानीय आरक्षण सुनिश्चित किया जाए.