न जाने कितने सालों से सुनने में आ रहा था कि पिछले 20 सालों में विकास की पटरी पर चढ़े भारत और चीन ने मिलकर पर्यावरण का ख़ूब नुकसान किया है. इनकी फ़ैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं ने पृथ्वी को रहने लायक नहीं छोड़ा है. लेकिन नासा की ताज़ा रिपोर्ट कुछ और ही बात कहती है.
नासा के ताज़ा शोध के अनुसार, पिछले 20 साल में पृथ्वी पर हरियाली बेहतर हुई है, आज से 20 साल पहले हालात ज़्यादा बुरी थी. ये संभव हुआ है दो देशों की वजह से- भारत और चीन.
भारत और चीन के पास पृथ्वी के कुल धरती का 9% अंश है लेकिन के हरियाली के मामले में दोनों देशों के पास एक तिहाई हिस्सा है.
बॉस्टन विश्वविद्यालय के लेखक Chi Chen ने कहा कि ये शोध आश्चर्यचकित करने वाले हैं, आमतौर पर माना जाता है कि अधिक जनसंख्या वाले देशों में ज़्यादा इस्तेमाल की वज़ह से Land Degradation होती है.
ये शोध Nature Sustainability नामक पत्रिका में प्रकाशित हुई है जिसमें उपग्रहों से प्राप्त तस्वीर और आंकड़ों के बदौलत ये बात कही गई है.
चीन के अधीन पूरी दूनिया की 6.6 प्रतिशत उर्वरक ज़मीन है जिसमें उसने हरियाली के मामले में 25 प्रतिशत बढ़ोतरी हासिल की है.
चीन में हरियाली क्षेत्र का 42 प्रतिशत इलाका जंगल का है और 32 प्रतिशत खेती का, लेकिन भारत के मामले में खेती का हिस्सा 82 प्रतिशत है और जंगल मात्र 4.4 प्रतिशत है.
दोनों देशों ने ये कामयाबी पेड़-पौधे लगाने और भूमी के संरक्षण के लिए उठाए कदमों की वजह से हासिल की है. साल 2000 से चीन और भारत ने फ़ूड प्रोडक्शन में 35 प्रतिशत की बढ़ोतरी पाई है.
ये शोध नासा द्वारा Terra और Aqua उपग्रह में Moderagte Reolution Imaging Spectroradiometer(MODIS) यंत्र लगाने की वजह से संभव हो सका है. इसकी वजह से पिछले बस साल में हुए बदलाव की तुलना की गई है.
इस शोध की सह-लेखिका Rama Nemani ने कहा, ‘जब इंसान को समस्या का पता चलता है तभी वो उसे ठीक करने के लिए कदम उठाता है. 70 और 80 के दशक में चीन और भारत को पता चला को अपने मुश्किल हालात का आभास हुआ 90 के दशक उन्हें महसूस हो गया और आज स्थिति बेहतर है.’
शोध के अनुसार, ये रुझान बाद में बदल भी सकते हैं क्योंकि भारत में खेती अभी भी भू-जल के ऊपर आसरित है और अगर उसमें बाद में कमी आती है तो इसका असर आकड़ों पर भी पड़ेगा. भारत और चीन की सकारात्मक तस्वीर ब्राज़ील और इंडोनेशिया में घट रहे उरवर्क ज़मीन की सच्चाई को छिपा नहीं सकते.