‘टॉपर्स’ 

ये शब्द कुछ के लिये ख़ुशी देने वाला है, तो कुछ के लिये टेंशन. ख़ुद को टॉपर साबित करने का सिलसिला दसवीं कक्षा से ही शुरू हो जाता है और कॉलेज तक चलता रहता है. इसका मतलब ये है कि 9वीं कक्षा तक बच्चे चैन वाली ज़िंदगी जी सकते हैं, पर हैदराबाद से आई एक तस्वीर ने इस बात को झूठला दिया.

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अब इस तस्वीर पर ग़ौर करियेगा:

ये तस्वीर क्रिश याधु नामक ट्विटर यूज़र ने शेयर की है. इस फ़ोटो में आप Nursery, LKG, UKG और First Class के टॉपर्स के नाम की लिस्ट देख सकते हैं. यूज़र ने फ़ोटो शेयर करते हुए ये भी लिखा कि नर्सरी टॉपर… किसके लिये? कौन ज़्यादा तेज़ दूध पीता है?

वहीं इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, छोटे-छोटे स्कूली बच्चों की ये फ़ोटो ‘द प्रिया भारती हाई स्कूल’ की है. हैदराबाद के कोथापेट में स्थित इस स्कूल ने Nursery के 10, LKG के 14, First Class के 9 और UKG के 11 टॉपर्स की सूची जारी की है.

यूज़र के इस गंभीर सवाल पर सोशल मीडिया पर स्कूल की काफ़ी आलोचना हो रही है.

हांलाकि, इस पूरे विवाद पर अब तक स्कूल की तरफ़ से कोई बयान सामने नहीं आया है. 

यूज़र का उठाया ये मुद्दा वाकई गंभीर है, जिस पर खुल कर बहस होनी चाहिये. इसके अलावा इस समस्या का हल भी निकाला जाना चाहिये. हैरानी वाली बात ये है कि जिस उम्र के बच्चे ठीक से बोल भी नहीं पाते, उन्हें टॉपर्स की लिस्ट में शामिल दिया. ऐसे करने से छोटे-छोटे बच्चों और उनके मां-बाप कितना तनाव में आ सकते हैं, इसका अंदाज़ा लगाना काफ़ी मुश्किल है. 

जब पढ़ने-लिखने की उम्र होगी ये मासूम पढ़ ही लेंगे, लेकिन अभी से पढ़ाई का टेंशन देकर बच्चों का बचपना छीनने का हक किसी को नहीं है. कम से कम इन मासूमों को बख़्श दो. 

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