ओडिशा में एक वक़ील साहब हाईकोर्ट के बाहर बैठकर सब्ज़ी बेच रहे हैं. उनके ऐसा करने के पीछे वजह कि ज़रूरतमंद वक़ीलों को पिछले कुछ महीनों से आर्थिक सहायता नहीं मिली है. ऐसे में ख़ुद की हालत बयां करने के लिए उन्होंने ये तरीका अपनाया है. उनका आरोप है कि बार काउंसिल के एलान के बाद भी अधिवक्ताओं को कोई राहत पैकेज नहीं मिला है.  

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रिपोर्ट्स के मुताबिक़, वक़ील साहब का नाम सपन पाल है. उन्होंने बताया कि सरकार ने लॉकडाउन के दौरान सभी को वित्तीय सहायता देने का वादा किया था, लेकिन कोई मदद नहीं मिली. उन्होंने सवाल किया कि, ‘अधिवक्ताओं के परिवार कैसे बचेंगे? वे बिना किसी आय के भोजन कैसे खरीदेंगे?  

सपन पाल ने कहा, ‘हम और हमारे परिवार कैसे बचेंगे? क्या मैं अपने बच्चों और पत्नी को ज़हर दे दूं? मुझे ज़िंदा रहना है इसलिए मैंने सब्जियां बेचना शुरू कर दिया है.’  

सपन पाल ने कहा कि एसोसिएशन की घोषणा को काफ़ी समय गुज़र गया है, इसके बावजूद कार्रवाई नहीं हुई. ऐसे में उन्होंने विरोध का ये तरीका अपनाया है.  

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बताया गया कि 5 अप्रैल को बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने ओडिशा स्टेट बार काउंसिल इमरजेंसी फ़ाइनेंशियल असिस्टेंस रूल्स, 2020 को मंजूरी दी थी. इसके तहत लॉकडाउन के दौरान ज़रूरतमंद व़कीलों को 10 हज़ार रुपये दिए जाने थे.  

काउंसिल ने 10 मई तक राज्य भर के विभिन्न बार एसोसिएशनों के वक़ीलों से फ़ंड के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे. सूत्रों के मुताबिक़, राज्य बार काउंसिल को 15,000 आवेदन मिले थे और वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए योग्य वकीलों की सूची तैयार करने के लिए छानबीन जारी है.