‘सुपर 30’ प्रसिद्ध गणित के टीचर आनंद कुमार से प्रेरित एक ऐसी ही महान पहल ओडिशा में भी शुरू हो चुकी है. 

‘ज़िंदगी’ नाम की ये पहल आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के बच्चों के सपनों को साकार करने में मदद कर रही है. 

ये एक गैर-सरकारी संगठन द्वारा संचालित परियोजना है जिसमें बच्चों को NEET(मेडिकल) की तैयारी करवाई जाती है. 

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इस नेक पहल की सफ़लता के पीछे जो शख़्स हैं उनका नाम अजय बहादुर सिंह है. आर्थिक तंगी से गुज़र रहे अपने परिवार को बनाए रखने के लिए अजय ने अपनी मेडिकल की पढ़ाई छोड़ दी थी और उन्हें चाय और शर्बत बेचना पड़ा. 

ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में वर्ष 2016 में शुरू किया गया था ‘ज़िन्दगी’ कार्यक्रम. वर्तमान में 19 मेधावी छात्र हैं जिसमे लड़की और लड़के दोनों हैं और सभी गरीब परिवारों से हैं. 

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परियोजना के तहत, राज्यों के हिसाब से एक टेस्ट होता है जिसमें से आर्थिक रूप से लाचार प्रतिभाशाली छात्रों को डॉक्टर बनने में मदद करने के लिए मुफ़्त भोजन, आवास और शिक्षण प्रदान किया जाता है. 

कार्यक्रम के चौदह छात्रों ने वर्ष 2018 में NEET क्रैक किया था, जिनमें से 12 ने ओडिशा के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश प्राप्त किया था. इन सभी छात्रों को प्रदेश के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने जुलाई में उनकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया था. 

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‘जब एक चाय बेचने वाला प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) बन सकता है तो हम डॉक्टर क्यों नहीं बन सकते?’ शुभलक्ष्मी साहू एक मामूली किसान की बेटी ने PTI को बताया. 

‘हम उन्हें मानसिक रूप से तैयार करने के लिए शुरुआती 15-20 कक्षाएं समर्पित करते हैं कि उनके पास NEET को क्रैक करने के लिए बहुल प्रतिभा है, जो उन्हें महंगे स्कूलों के छात्रों और प्रतिष्ठित नामों में कोचिंग कक्षाओं में भाग ले रहे हैं छात्रों से मुक़ाबला करने में मदद करे’ बॉटनी के शिक्षक मुकुल कुमार ने PTI से कहा. 

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ज़िंदगी कार्यक्रम के संस्थापक, अजय बहादुर सिंह ये सब अपने बिखरे सपने को पूरा करने के लिए कर रहे हैं. इन बच्चों के जरिए वो अपना डॉक्टर बनने का सपना पूरा कर रहे हैं जिसको उन्हें अपने परिवार की आर्थिक तंगी की वजह से छोड़ना पड़ा था.