अमूमन हम किसी को अपना काम ठीक से न करते देख उसे नज़रअंदाज कर देते हैं, ये कहते हुए कि ‘छोड़ न हमें क्या करना’, पर ऐसे लोगों की ये ग़लती उन्हीं के भविष्य से कितना बड़ा खिलवाड़ कर सकती है, इसका एक उदाहरण ओडिशा से सामने आया है. यहां एक पोस्टमास्टर अपने काम के प्रति इतना लापरवाह था कि उसने 6000 लेटर्स लोगों तक पहुंचाए ही नहीं.

हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ओडिशा के भदरक ज़िले के एक गांव का एक पोस्टमास्टर इतना आलसी था कि उसने करीब 6000 लेटर लोगों तक पहुंचाए ही नहीं. उसकी पोल इस गांव के कुछ बच्चों ने खोली. दरअसल, ये बच्चे खेल-खेल में पुराने पोस्ट ऑफ़िस पहुंच गए थे. यहीं एक कमरे में उन्हें लेटर्स का ज़खीरा मिला.

इसके बारे में उन्होंने अपने परिजनों को बताया. गांववालों ने इसकी शिकायत पोस्ट ऑफ़िस में जाकर की, उसके बाद से ही आरोपी पोस्टमास्टर जगन्नाथ पुहान को सस्पेंड कर दिया गया. हैरानी की बात ये है कि इनमें से कुछ लेटर तो साल 2004 के हैं. इन 6000 चिट्ठी-पत्रियों में से अधिकतर ख़राब हो चुके हैं.

इनमें से 1500 पत्रों को छांटा गया है, जो सही हालत में हैं. अधिकारियों का कहना है कि आरोपी पोस्ट मास्टर ने अपनी ग़लती स्वीकार कर ली है. साथ ही उन्होंने बताया कि सुस्त पोस्टमैन रजिस्टर्ड मेल और स्पीड पोस्ट तो पहुंचा देता, लेकिन सामान्य चिट्ठियों को वो अपने स्टोर रूम में रख देता था.

पाए गए लेटर्स में से कुछ एडमिट कार्ड्स, अपॉइंटमेंट, इंस्योरेंस कंपीन के लेटर भी हैं. इससे इस बात का अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि कैसे एक पोस्ट मास्टर की लापरवाही के चलते कई लोगों का भविष्य ख़राब हो गया. चौंकाने वाली बात ये है कि, इतना सबकुछ होता रहा और किसी ने इसकी शिकायत तक नहीं की.

इसी के चलते जगन्नाथ पोस्टमैन से पोस्टमास्टर की पोस्ट तक पहुंच गया. अगर वक़्त रहते लोगों ने अपने पत्र न मिलने की शिकायत की होती, तो आज ये नौबत न आती.