गुरू गोबिंद दोऊ खड़े काके लागूं पाएं 

बलिहारी गुरू आपने गोबिंद दियो बताए

हमारी पहली गुरू मां होती है और दूसरे स्कूल टीचर. पढ़ने का मज़ा तब आता है जब टीचर एक मां की तरह पढ़ाई को सरल कर दे. पढ़ाने के तरीके को आसान बनाएं. ऐसे ही एक टीचर हैं ओडिशा के पबित्र मोहन दास, जो बच्चों को पढाने के लिए डंडे, बांस, पेड़ और पत्थरों का इस्तेमाल करते हैं. ये इन चीज़ों से बच्चों को मारते नहीं, बल्कि उनकी पढ़ाई आसान करते हैं.

पबित्र ने The New Indian Express को बताया,

सिखाने और पढ़ाने का तरीका अर्थपूर्ण और समझने लायक होना चाहिए. वैसे तो बच्चे किसी भी विषय को याद कर लेते हैं, लेकिन जब उन्हें इन सब सामग्रियों के साथ प्रैक्टिकल करके बताया जाता है, तो वो लंबे समयके लिए याद रहता है.

दास, मैथ, साइंस और इतिहास पढ़ाते हैं. अब तक वो शित्रा से जुड़े 200 सामग्रियां बना चुके हैं. इसे वो क्लास में इस्तेमाल करते हैं. साथ ही उन्होंने अपनी क्लास में कंप्यूटर भी रखा हुआ जिससे बच्चों को आईटी की जानकारी मिल सके और वो यूट्यूब पर एजुकेशनल वीडियो देख पाएं.

https://www.youtube.com/watch?v=nVGiAgLl6Ds

दास का कहना है,

मेरा लक्ष्य सीमित संसाधनों के साथ शहरी क्षेत्रों के छात्रों और गांव के छात्रों के शिक्षा स्तर को बराबर पर लाना है. 

Odisha Sun Times के अनुसार,

दास को दुनिया भर के 46 टीचर्स के बीच में नेशनल अवॉर्ड के लिए चुना गया था. उन्हें ये अवाॉर्ड 5 सितंबर को टीचर्स डे के मौक़े पर विज्ञान भवन में दिया गया. ये अवॉर्ड राष्ट्रपित रामनाथ कोविंद ने अपने हाथों से दास को सम्मानित किया.

ज़िंदगी बहुत कुछ सिखाती है, जो ये बताता है ज़िंदगी क्या होती है? वो गुरू होता है.