डोंगरीया कोंढ समुदाय ओडिशा की सबसे पिछड़ी जनजातियों में से एक है. इस जनजाति को राज्य के PVTG ग्रुप्स (विशेष रूप से कमज़ोर आदिवासी समूहों) में शामिल किया गया है. मई 2014 में यहां की लड़कियों ने पहली बार दसवीं की परीक्षा पास की थी.
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ये जनजाति रायगाड़ा, कोरापुट और कालाहांडी ज़िलों में रहती है. ये लोग मुख्यतः खेती-बाड़ी कर के गुज़ारा करते हैं.
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2011 की सेंसस रिपोर्ट के अनुसार, इस जनजाति की जनसंख्या लगभग 8,000 है, लेकिन साक्षरता दर केवल 10% है.
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1978 में डोंगरीया कोंढ विकास प्राधिकरण (DKDA) की स्थापना की गयी थी. इसके बाद रायगाड़ा ज़िले में 2 स्कूल खोले गए, जिनमें 400 लड़कियां पढ़ती हैं.
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पूर्णिमा हाईका एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल में साइंस की स्टूडेंट है. 14 लड़कियों में उसने सबसे ज़्यादा अंक (77%) हासिल किये. उसकी इस सफलता से अन्य लड़कियों को भी प्रेरणा मिली है.
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पिंकी कंडागारिया मुनिगुढ़ा गांव की रहने वाली है. उसने 10वीं कक्षा में 60% अंक हासिल किये और अब एक सरकारी कॉलेज से IT की पढ़ाई कर रही है. वो इंजीनियर बनना चाहती है.
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इस जगह बाल विवाह, अशिक्षा, और अन्धविश्वास एक बड़ी समस्या रहा है, पर अब स्थितियां बदल रही हैं.
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कुरली गांव की पांच लड़कियों ने पहली बार ITI रायगाड़ा में दाखिला लिया है. सुबर्ना जकेसिका भी उनमें से एक है. अब वो इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिक्स पढ़ रही है.
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इस समुदाय में अब तक लड़कियों की शिक्षा को ख़ास एहमियत नहीं दी जाती थी. लेकिन अब लड़कियां समाज की बेड़ियों को तोड़ कर शिक्षा प्राप्त कर रही हैं.