ओडिशा से एक दिल को झकझोर देने वाली ख़बर आई है. यहां के अंगुल ज़िले के एक गांव में पिछले 2 महीने से एक बुज़ुर्ग महिला अपने 3 नाती-पोते के साथ शौचालय में रहने को मजबूर थी. इन्हें हाल ही में प्रशासन द्वारा वहां से निकाल कर एक पुनर्वास केंद्र में भेजा गया है.
इस बदनसीब महिला का नाम बिमला प्रधान है. 75-80 साल की ये महिला अंगुल ज़िले के बिसाना गांव में स्वच्छ भारत अभियान के तहत बने एक शौचालय में अपने परिवार के साथ रह रही थी.

ये महिला बेघर हैं और इनके पास अपना कोई घर नहीं है. दो महीने पहले ये एक मिट्टी के घर में दो नातिन और एक पोते के साथ रह रही थीं. नातिन 5 और 8 साल की हैं और पोते की उम्र 6 साल है. पिछली बारिश में ये घर ढह गया इसलिए इन्हें मजबूरन शौचालय में शरण लेनी पड़ी.
बिमला इनकी नानी हैं और इन बच्चों की मां का देहांत हो गया है. बच्चों के पिता ने इन्हें छोड़ दिया तो ये बच्चे तीन साल पहले अपनी नानी के साथ रहने चले आए. एक समाज सेवक द्वारा इनके बारे में प्रशासन को जानकारी दी गई. तब जाकर इन्हें प्रसाशन ने एक अस्थाई पुनर्वास केंद्र में भेज दिया.

इस बारे में बात करते हुए बिमला ने कहा– ‘हमारे पास कोई घर नहीं है. जहां सिर छुपाने की जगह मिलती है हम वहां रहने लगते हैं. हम जिस घर में रह रहे थे वो पिछली बारिश में बह गया. इसके बाद हमने पास ही खाली पड़े एक शौचालय में रहना शुरू कर दिया.’
उन्होंने आगे कहा- ‘हम खुले में खाना बनाते हैं और बारिश में इस घर के अंदर रहते हैं. हमारे पास कुछ नहीं है. अब मैं बूढ़ी हो रही हूं और इन बच्चों का पेट पालने में असमर्थ हूं’.

जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने स्थानीय प्रशासन से मदद की गुहार नहीं लगाई, तो उन्होंने बताया कि दस्तावेज़ न होने के चलते उनकी किसी प्रकार की कोई मदद नहीं की गई. ग्राम पंचायत के अनुसार, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत ग़रीब लोगों को राशन उपलब्ध कराया जाता है. लेकिन बिमला जी का नाम इस सूची में नहीं है.
इसलिए उन्हें इसका लाभ नहीं मिला. जल्द ही इनका नाम NFSA के तहत लाभ पाने वाले लोगों की लिस्ट में शामिल कर इनकी मदद की जाएगी. साथ ही बच्चों के स्कूल में पढ़ने का भी इंतज़ाम किया जाएगा.