प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जहां स्वच्छ और खुले में शौच मुक्त भारत का संदेश दे रहे हैं वहीं इन संदेशों को देश के कुछ क्षेत्रों में बेहद वीभत्स अंदाज़ में ग्रहण किया जा रहा है. महाराष्ट्र सरकार ने 2018 तक राज्य को खुले में शौच को खत्म करने का निर्णय लिया है. ख़ुद सीएम देवेंद्र फडणवीस कह चुके हैं कि खुले में शौच जाने वाले लोगों को शर्मिंदा किया जाएगा. महाराष्ट्र में जब सरकार की स्वच्छ भारत अभियान मुहिम सफ़ल नहीं हुई, तो जिला परिषद अधिकारी ने शर्मनाक तरीका अपनाया.

जिला परिषद राजेंद्र भरूड़ एक आईएएस अधिकारी भी हैं. उन्होंने न केवल खुले में शौच कर रही गरीब महिलाओं को माला पहनाकर एक शर्मनाक हरकत की, बल्कि उनकी तस्वीरों को सार्वजनिक रूप से मीडियाकर्मियों को भी भेज दिया.

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ये घटना महाराष्ट्र के सोलारपुर जिले के चिकमहुद गांव की है. स्थानीय निवासियों के अनुसार ये महिलाएं गरीब मजदूर हैं और अपने घर में शौचालय बनवाने में समर्थ नहीं थीं. वहीं इस दौरान शौचालयों के निर्माण को लेकर जागरुकता फ़ैलाने के लिए जिला परिषद सीईओ राजेंद्र गांव में थे. राजेंद्र ने अपनी ‘गुड मॉर्निंग टीम’ के साथ सुबह ऐसी ही दो महिलाओं को माला पहनाकर शर्मिंदा किया. सोलारपुर विधायक प्रणिती शिंदे ने कहा कि हमने जीपी सीईओ के तुंरत निलंबन की मांग की है. इस तरह का व्यवहार महिलाओं का अपमान है. महिलाओं की तस्वीरों को सार्वजनिक करने पर उनके खिलाफ आईटी एक्ट के तहत कार्रवाई होनी चाहिए.

वहीं घटना मामले में जीपी सीईओ राजेंद्र ने सफ़ाई देते हुए कहा कि ‘हमने महिलाओं को शर्मिंदा करने के लिए ऐसा नहीं किया. मैंने इन महिलाओं को माला नहीं पहनाई. ये वहां के स्थानीय लोगों ने किया था जो सेल्फ़-हेल्प ग्रुप के सदस्य थे. ये ग्रुप खुले में शौच को खत्म करने के लिए काम कर रहा है. इन महिलाओं ने वादा किया कि वे अगले एक सप्ताह में अपने घर में शौचालय का निर्माण करा लेंगी. हमारी टीम के एक सदस्य ने यहां की तस्वीरें खींच ली और बिना मुझे खबर लगे एक सकारात्मक संदेश को प्रमोट करने के मकसद से व्हाट्सएप्प पर भेज दी और फिर वो वायरल हो गई शेयर करना तो दूर, मैं अपने आधिकारिक तस्वीरों तक को कभी नहीं खींचता हूं.’