ग्लोबल वॉर्मिंग के क्या परिणाम होते हैं ये सभी को पता है. इंडिया भी इससे अछूता नहीं है. रिपोटर्स बताती हैं कि साल 2019 में गर्मी की वजह से अबतक कम-से-कम 100 लोगों की जान गई हैं.
हर साल इंडिया में मार्च के महीने से जुलाई के महीने तक आमतौर पर गर्म हवाएं चलती हैं. लेकिन इस साल ये देखा गया है कि इस बार गर्म हवाओं का प्रकोप पिछले सालों की मुकाबले ज़्यादा रहा है. क्या ये सिग्नल है इस बात का कि भविष्य में गर्मी की वजह से इंडिया के कुछ इलाकों में इंसान नहीं रह पाएंगे?

MIT एक्सपर्ट्स की मानें तो अगर दुनिया में कार्बन उत्सर्जन की कमी नहीं हुई, तो इंडिया में तापमान बढ़ेगा. जिसका सीधा असर लोगों पर पड़ेगा. कुछ इलाकों में हालात इतने खराब हो जाएंगे कि इंसान का वहां रुकना बेहद मुश्किल हो जाएगा.

पिछले जून के महीने में दिल्ली का तापमान 48 डिग्री सेल्सियस तक गया है. जो कि अभी तक का सर्वाधिक है. इससे पहले कभी दिल्ली का तापमान जून के महीने में 48 डिग्री सेल्सियस नहीं गया था. वहीं राजस्थान के चुरू की हालत तो और खराब है. यहां इस साल का तापमान 50.6 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया. भविष्य में ये सिचुएशन और भी खराब होने की आशंका है.

क्लाइमेट चेंज पर इंटरगर्वमेंटल पैनल की मानें तो… क्लाइमेट चेंज का काफ़ी बुरा असर इंडिया पर पड़ेगा. इंडिया की गिनती उन देशों में है, जहां हालात और खराब हो सकते हैं. MIT की एक स्टडी के मुताबिक साल 2100 तक आते-आते इंडिया की 70% आबादी बेहद गर्मी और ह्युमिडिटी झेल रही होगी.

ऐसी भविष्यवाणी सुनकर हम सभी का ये फ़र्ज़ बनता है कि हम पर्यावरण की रक्षा करें. वो इसलिए क्योंकि अगर हम पर्यावरण की रक्षा नहीं करेंगे, तो पर्यावरण हमारी रक्षा नहीं करेगा.