रमाशंकर यादव विद्रोही की एक मशहूर कविता है ‘औरत की जली हुई लाश’, जो कुछ इस तरह है कि:
मैं साईमन न्याय के कटघरे में खड़ा हूंप्रकृति और मनुष्य मेरी गवाही देंमैं वहां से बोल रहा हूं जहांमोहनजोदड़ो के तालाब की आख़िरी सीढ़ी हैजिस पर एक औरत की जली हुई लाश पड़ी हैऔर तालाब में इंसानों की हड्डियां बिखरी पड़ी हैंइसी तरह से एक औरत की जली हुई लाशबेबीलोनिया में भी मिल जाएगीऔर इंसानों की बिखरी हुई हड्डियां मेसोपोटामिया में भी’
विद्रोही के ये कविता Simon de Bolivar (फ्रेंच लेखिका)के उस वक्तव्य के काफ़ी करीब दिखाई देती है, जिसमें उन्होंने कहा था कि आप चाहे किसी विकसित देश में चले जाइये या किसी पिछड़े देश में औरतों की हालत हर जगह एक सी है.
पाकिस्तान इसका जीता-जागता उदाहरण है, जहां इन दिनों फ़िल्म ‘पैडमैन’ को ले कर महिलाओं और पाकिस्तानी सेंसर बोर्ड के बीच तनातनी चल रही है. ख़बरों के मुताबिक, पाकिस्तानी सेंसर बोर्ड ने फ़िल्म ‘पैडमैन’ को ये कहते हुए बैन कर दिया है कि ‘हम किसी भी ऐसी फ़िल्म को सर्टिफ़िकेट नहीं दे सकते, जो हमारी तहज़ीब के ख़िलाफ़ हो.’
फ़िल्म के डायरेक्टर आर. बल्कि का कहना है कि ‘मुझे ये देख कर बहुत ही निराशा हुई है कि फ़िल्म देखे बिना ही उन्होंने इसे लेकर अपनी राय बना ली. उन्होंने ये कहते हुए बात करने से भी मना कर दिया कि ये फ़िल्म इस्लामिक मूल्यों और सभ्यता पर प्रहार है. अब कोई ये बताये कि महिला शरीर से जुड़ा एक मुद्दा कैसे किसी सभ्यता पर चोट कर सकता है?’
ख़ैर पाकिस्तानी सेंसर बोर्ड के इस रवैये के ख़िलाफ़ ख़ुद पाकिस्तानी महिलाएं ही उठ खड़ी हुई हैं, जो वाकई प्रशंसनीय है. तहज़ीब और इस्लामिक ठेकेदारों द्वारा एक शारीरिक प्रक्रिया को हौवा बना कर पेश किये जाने को पाकिस्तानी महिलाओं ने गंभीरता से लिया है.
After Pakistan’s Censorship board banned PadMan, women will be banned to bleed since the morality only allows Over Population but not personal hygiene.
Safai Nisf Imaan Hai? Noooo Neveerrr… #Padman— Huda Bhurgri (@HBhurgri) February 11, 2018
Since its against Islamic teachings and culture, Pakistani women are planning to give up their Uteruses. Sanitary Napkin industries are also winding up to sell pads in countries where women can BLEED! #Padman #UnBanPadman
— Huda Bhurgri (@HBhurgri) February 11, 2018
Yes, Pakistani Women menstruate too. I support #Padman and menstrual hygiene. Ban on @PadManTheFilm in Pakistan is senseless. Release it now. pic.twitter.com/KpsTL6Rc3a
— Ammara Ahmad (@ammarawrites) February 10, 2018
Padman is banned in pakistan and im not even surprised. We like to ban every drama/movie which can raise awareness among people who think that topics like sexual abuse and menstrual hygiene are considered ‘taboo’ in our society.
— polar bears are dying (@naheinyaar) February 10, 2018
Dear Sir, the film #Padman has been released internationally. Your decision-making is embarrassingly slow. Why should a film about menstrual hygein & cheap sanitary napkins denied a release or delayed? Pakistan deserves to become a part of this conversation on reproductive health https://t.co/tTzZTDvIg7
— Ammara Ahmad (@ammarawrites) February 11, 2018
Banning PadMan in Pakistan is another one of those illogical things that simply affect the business of cinemas in Pakistan.
Menstruation is a fact of life, and bringing it to mainstream consciousness is neither immoral nor un-Islamic.— Mehr Tarar (@MehrTarar) February 10, 2018
Banning padman in Pakistan just shows how we havent mentally progressed as a nation. Utterly disappointing.
— Amna Mazhar (@ozilinaa) February 10, 2018
Dear Censor Board of Pakistan
Yes! We #Pakistani women get our periods too! Every month we bleed, it’s simple biology.I condemn the ban on @PadManTheFilm in Pakistan!#IAmPadman #Padman #UnBan pic.twitter.com/mnrNLJkROC— The Lodhi (@AnnamL0dhi) February 10, 2018
पाकिस्तानी महिलाओं का इस तरह से सामने आना इसलिए भी काबिल-ऐ-तारीफ़ क्योंकि सदियों से संस्कृति और सभ्यता के दवाब की आड़ में महिलाओं की आवाज़ को हमेशा से दबाया जाता रहा है. हिंदुस्तान और पाकिस्तान बेशक कभी किसी मोर्चे पर साथ खड़े हों, पर इस मुद्दे पर दोनों के हालात एक जैसे ही दिखाई देते हैं. पाकिस्तान में जहां सेंसर बोर्ड को सैनिटरी हाइजीन इस्लामिक मूल्यों के ख़िलाफ़ नज़र आती है, वहीं हिंदुस्तान में एक नेताजी की नज़रों में लड़कियों का बियर पीना उनका कैरेक्टर बताता है.