देश में कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन से सबसे ज़्यादा प्रभावित प्रवासी मज़दूर हुए हैं. रोज़ दिहाड़ी कमाने वाले इन मज़दूरों के पास न रोज़गार बचा है और न ही खाने और रहने का कोई इंतज़ाम. ऐसे में घर लौटने के अलावा कोई चारा नहीं है. शुरुआत में सरकार ने इनके लिए कोई पुख़्ता इंतज़ाम नहीं किए, तो ये पैदल ही अपने घर-गांव के लिए निकल पड़े. कोई साइकिल के सहारे, तो कोई ऑटो या ट्रक पर सवार हो गया. 

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हालांकि, इन्हें भी शायद इस बात का एहसास नहीं था कि उनका ये सैकड़ों मीलों का सफ़र कितना मुश्क़िल होने वाला है. कई मज़दूरों की सड़क दुर्घटनाओं में मौत हो गई. मौत से बचे तो पुलिस के शिकंजे में आ गए. इन्हें मारा गया, सड़क पर लोटने को मजबूर किया गया और इन सबसे बच गए तो कोरोना का शिकार हो गए. 

प्रवासी मज़दूरों पर Disinfectant का छिड़काव 

दिल्ली के लाजपत नगर के एक स्कूल के बाहर सैकड़ों की संख्या में प्रवासी मज़दूर खड़े थे. ये सभी यहां श्रमिक ट्रेन में बैठने से पहले स्क्रीनिंग करवाने आए थे. ये लोग बाहर ही इंतज़ार कर रहे थे, तब ही इन पर अचनाक के सैनेटाइज़ेशन का काम करने वाले कर्मचारियों ने Disinfectant का छिड़काव करना शुरू कर दिया. 

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मज़दूरों के साथ हुए इस अमानवीय व्यवहार का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (SDMC) को लोगों ने जमकर लताड़ लगाना शुरू कर दिया, जिसके बाद SDMC ने सफ़ाई दी है कि कर्मचारियों से ये गलती में हो गया. कर्मचारी स्प्रे मशीन के प्रेशर को संभाल नहीं पाए, जिसके कारण केमिकल के छिड़काव की दिशा बदल गई. उनका कहना है अधिकारियों ने प्रवासी मज़दूरों से माफ़ी भी मांगी है. 

पुलिस के डर से यमुना नदी पार करने को मजबूर मज़दूर 

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उत्तर प्रदेश के सराहनपुर में सैकड़ों की संख्या में रात को प्रवासी मज़दूर यमुना नदी पैदल ही पार करने लगे. ये सभी मज़दूर यूपी और बिहार के हैं. भूखे-प्यासे जंगलों को पार कर ये मज़दूर यहां तक पहुंचे, लेकिन इसके बाद भी सड़क पर नहीं जा सकते क्योंकि पुलिस उन पर लाठी चला रही है. साथ ही गर्मी बढ़ने के कारण इन मज़दूरों ने रात में ही सफ़र करने का फैसला किया है. 

रेलवे की लापरवाही से परेशान मज़दूर 

जो प्रवासी श्रमिक पैदल घर को निकले हैं, उन्हें तो मुश्क़िलों का सामना करना ही पड़ रहा है, लेकिन जिन्हें श्रमिक ट्रेन से घर जाने का मौका मिला है, उनकी तकलीफ़ें भी कम नहीं हैं. ये ट्रेनें 10-10 घंटे एक ही जगह पर खड़ी रहती हैं, खराब खाना मिलता है, साफ़-सफ़ाई की व्यवस्था नहीं है, शौचालय में पानी तक नहीं है. 

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दीन दयाल उपाध्याय स्टेशन पर परेशान मज़दूरों ने तो बिहार के सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ़ जमकर नारेबाजी भी की. ये मज़दूर आंध्रप्रदेश के विशाखापट्टनम से लौट रहे थे, लेकिन स्टेशन के आउटर सिग्नल पर ट्रेन को 10 घंटे तक रोके रखा गया, जिसके बाद मज़दूरों का गुस्सा भड़क गया. 

ऐसी ही घटना वाराणसी में भी हुई. महाराष्ट्र से यूपी के जौनपुर लौट रहे मज़दूरों की ट्रेन को यहां 10 घंटे तक रोके रखा गया, जिसके बाद गुस्साए मजदूरों ने रेलवे ट्रैक पर बैठकर प्रदर्शन शुरू कर दिया. रेलवे पुलिस ने बाद में इन मज़दूरों के खाने की व्यवस्था की जिसके बाद ट्रेन आगे जा पाई. 

कानपुर में प्रवासी मज़दूरों ने खाना फ़ेंक दिया. उनका कहना था कि उन्हें खराब खाना दिया जा रहा है. ये मज़दूर गुजरात से लौटकर बिहार आ रहे थे. मज़दूरों ने आरोप लगाया है कि उन्हें न तो पीने का पानी मिल रहा है और न ही शौचालय के लिए पानी दिया जा रहा है. ऊपर से उन्हें चार-पांच दिन पुराना बासी खाना मिल रहा है. 

मज़दूर बन रहे कोरोना का आसान शिकार 

हज़ारों-हज़ार की तादाद में प्रवासी मज़दूर अपने घरों को लौट रहे हैं. ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग की बात भी बेमानी हो जाती है. यही वजह है कि अपने गृहराज्य लौटने पर ये मज़दूर बड़ी संख्या में संक्रमित पाए जा रहे हैं. बता दें, 2,317 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के ज़रिए क़रीब 31 लाख मज़दूर अब तक अपने गृहराज्य लौट चुके हैं. इनमें से ज़्यादातर यूपी, बिहार, राजस्थान, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के हैं. ऐसे में इन राज्यों में कोरोना वायरस के तेज़ी से फैलने का खतरा बढ़ गया है. 

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यूपी में महज़ एक हफ़्ते में संक्रमितों की संख्या 4,057 से बढ़कर 5,515 हो गई. कुल पॉज़िटिव मरीज़ों में से 1,350 प्रवासी मज़दूर हैं. बिहार में कुल 1,987 लोग कोरोना की चपेट में आ चुके हैं. इनमें से क़रीब 1,000 प्रवासी मज़दूर हैं. ऐसे ही राजस्थान में 1,200 के क़रीब मज़दूर संक्रमण का शिकार हुए हैं. वहीं, ओडिशा में 1,189 कुल संक्रमितों में 90 फ़ीसदी पॉज़िटिव केस प्रवासी मज़दूरों से जुड़े हैं.