सरकार द्वारा पांच सौ और एक हजार की नोटबंदी के बाद जहां आम आदमी को काफी दिक्कतों का सामना उठाना पड़ रहा है, वहीं इसका एक और पहलू भी सामने आ रहा है.
दरअसल 500 और 1000 के नोटों पर प्रतिबंध के बाद से बाज़ार में खुदरे की काफी किल्लत देखी जा रही है और इसी का फायदा उठाने के लिए जाली नोटों के धंधे में घुसे लोग भी सक्रिय हो गए हैं. पाकिस्तान से एक सौ रुपये के जाली नोट बड़ी मात्रा में बाज़ारों में भेजे जा रहे हैं और इन नोटों को नेपाल एवं बांग्लादेश के रास्ते भारत में पहुंचाया जा रहा है.
गौरतलब है कि 500 और 1000 पर बैन के बाद से ही सौ के नोटों की मांग काफी बढ़ गई है. यही देखते हुए जाली नोटों के सौदागर बाज़ार में सौ के जाली नोट जमकर खपा रहे हैं. बताया जाता है कि पांच लाख असली नोटों के बदले 15 लाख रुपये मूल्य के जाली नोट उपलब्ध कराए जा रहे हैं. इसका मुख्य सेंटर पश्चिम बंगाल में है.
सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान के पंजाब व बलूचिस्तान प्रांतों में जाली भारतीय रुपयों की छपाई होती रही है. इन्हें नेपाल, बांग्लादेश व थाइलैंड के रास्ते भारत में पहुंचाया जाता है. इसके अलावा बिहार में भी ऐसे मामले पकड़े जा चुके हैं. बीते डेढ़ दशक के दौरान पटना पुलिस व अन्य एजेंसियों की छापेमारी में ऐसे दो-तीन मामलों का खुलासा हो चुका है.
जाली नोट की खेप पहुंचाने के लिये महिला कुरियर का सहारा लिया जा रहा है. जाली नोट खासकर ग्रामीण इलाकों में ज्यादा खपाए जा रहे हैं. सौ रुपये के असली एवं जाली नोट में फर्क करना साधारण लोगों के लिए काफी मुश्किल है. सीमांचल में पिछले तीन वर्षों में जाली नोट के 19 मामले सामने आए हैं. सबसे अधिक मामले किशनगंज में सामने आए हैं. यहां लगभग 17.92 लाख रुपये मूल्य के जाली नोट पुलिस ने बरामद किए गए हैं.
जाली नोट पहुंचाने की सूचना पर खुफिया विभाग सक्रिय हो गया है, साथ ही नेपाल सीमा पर एसएसबी एवं बांग्लादेश सीमा पर बीएसएफ को भी सतर्क कर दिया गया है. पुलिस ने सभी थानों को खुफिया विभाग की रिपोर्ट के बाद अलर्ट कर दिया गया है और जाली नोट के धंधेबाजों पर भी कड़ी नजर रखी जा रही है.