पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारी कुलभूषण जाधव को आखिरकार अपनी पत्नी और मां से मिलने का मौका तो मिला लेकिन ये मुलाकात न होकर एक औपचारिकता रह गई. पाकिस्तान की जेल में बंद जाधव को उनके परिवार वालों से मिलाने में बेहद असंवेदनशीलता बरती गई. कुलभूषण और उनकी मां और पत्नी के बीच एक शीशे की दीवार थी, इस लिहाज से कहीं न कहीं मिलकर भी मुलाकात अधूरी रह गई. मानवीय आधार पर हुई इस मुलाकात में जाधव की अपनी मां और पत्नी से इंटरकॉम के ज़रिए बात कराई गई और मुलाकात की वीडियो रिकॉर्डिंग भी कराई गई.

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय में जाधव से मिलने पहुंची मां और पत्नी ने गाड़ी को सख़्त सुरक्षा के बीच पहले भारतीय हाई कमिशन ले जाया गया था फिर जाधव से मिलने के लिए विदेश मंत्रालय ले जाया गया. आतंकी हमले की आशंका के मद्देनजर एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड भी तैनात था. अतिरिक्त सुरक्षा के लिए छतों पर स्नाइपर की भी मौजूदगी थी. इस्लामाबाद में इस दौरान भारतीय उप उच्चायुक्त जेपी सिंह भी मौजूद थे.

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पाकिस्‍तान ने इस मुलाकात के लिए जाधव के परिवार को 30 मिनट का समय दिया था. इस मीटिंग से पहले भारत ने पाकिस्तान के सामने तीन शर्तें रखी थी जिसे पाकिस्‍तान ने मान लिया था और उसके बाद ही भारत ने इस मुलाकात के लिए हामी भरी.

पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव पर जासूसी, आतंकवाद फैलाने और देश के खिलाफ़ साजिश में शामिल होने का आरोप लगाकर मुकदमा चलाया और इकबालिया बयान के आधार पर उसे फ़ांसी की सजा सुना दी लेकिन भारत ने अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट में इसके खिलाफ़ अपील की और आखिरी फ़ैसला आने तक जाधव की फ़ांसी की सजा को टाल दिया गया.

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भारत ने इस दौरान 20 बार कुलभूषण से मिलने की इज़ाज़त मांगी लेकिन पाकिस्तान ने काउंसलर एक्सेस की भारत की मांग को हर बार ठुकराया. भारत सरकार ने कहा है कि कुलभूषण उसका नागरिक है पर नेवी से रिटायर हो चुका है और ईरान अपने बिज़नेस के लिए गया था, जहां से उसे अगवा कर पाकिस्तान ले जाकर फ़र्ज़ी मामले में फ़ंसाया गया.

जहां पाकिस्तान का दावा है कि ये मुलाकात मानवीय आधार पर कराई गई थी वहीं ये साफ़ है कि ये एक ऐसा प्रयास था जिससे पाकिस्तान दुनिया से सहानुभूति लेना चाहता था और अपने आपको आतंकवाद से ग्रस्त देश के तौर पर अपनी छवि गढ़ने की कोशिश थी. पाकिस्‍तान के अधिकारी डॉ.मोहम्‍मद फ़ैजल ने यहां तक कहा कि पाक ने जाधव की मां और पत्‍नी को मिलने की इज़ाज़त मानवीय आधार पर दी, क्‍योंकि आज मोहम्‍मद जिन्‍ना का जन्‍मदिन हैं. पाकिस्तान का ये रवैया देखकर लगता नहीं है कि वो भारत के साथ शांति वार्ता को लेकर ज़रा भी गंभीर है.  

Source: Times of India