देश को आज़ाद हुए 72 वर्ष हो चुके हैं. 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता की ख़ुशी के साथ ही देश को बंटवारे का दुख भी झेलना पड़ा था. ऐसे में जो लोग पाकिस्तान में नहीं रहना चाहते थे, वो हिंदुस्तान आ गए और जो पाकिस्तान जाना चाहते थे, वहां चले गए. पाकिस्तान में ऐसे लोगों को मुहाजिर कहा जाता है. हमारे देश में भी कुछ लोगों को पाकिस्तान वाला कहने का दंश झेलना पड़ रहा है, वो भी आज़ादी के इतने वर्ष बीत जाने के बाद. 

बात हो रही है ग्रेटर नोएडा के गौतमी महोल्ले की . यहां पर एक गली का नाम पाकिस्तान वाली गली है. इनके पहचान पत्र में भी यही पता लिखा हुआ है. इसकी वजह से यहां रहने वाले लोगों बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.  

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यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि लोग उन्हें पाकिस्तान वाले कहकर उनका उपहास करते हैं. यही नहीं, कुछ लोगों का कहना है कि पते में पाकिस्तान वाली गली लिखा होने के चलते वो अपने घर का पता दूसरों को बताने से कतराते हैं. कुछ लोगों को कहना है कि इस नाम के कारण कई बार उन लोगों को रिश्ते होने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. 

कैसे पड़ा नाम 

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दरअसल, 1947 में चुन्नीलाल नाम के एक शख़्स पाकिस्तान के कराची से आकर यहां बस गए थे. तभी से ही इस गली का नाम पाकिस्तान वाली गली पड़ गया. लेकिन 7 दशक बीत जाने और क़रीब चार पीढ़ियों के बदल जाने के बाद भी इसका नाम बदला नहीं गया है. हैरानी की बात ये है कि नगरपालिका के दस्तावेज़ों में भी अभी तक यही नाम है.

इस बारे में नवभारत टाइम्स से बात करते हुए दादरी के एसडीएम राजीव राय ने कहा- ‘ये मामला अभी तक मेरे संज्ञान में नहीं आया था. अब जब मुझे इस बारे में पता चल गया है. मैं नगर पालिका के अधिकारियों से बात करूंगा और क़ानून जो हो सकेगा वो किया जाएगा.’ 

जिन लोगों ने बंटवारें का दंश झेला है, वो किन-किन दुखों से गुज़रें हैं वो वहीं जानते हैं. जितनी जल्दी हो सके इस नाम को बदल देना चाहिए.